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हरिदूत लिरिक्स (नरसी)

हरिदूत हिंदी लिरिक्स (नरसी)
हरिदूत हिंदी लिरिक्स (नरसी)

Song: Haridoot (हरिदूत)
Rap: Narci
Singer: Agam Aggarwal
Vocals: Premanand Ji Maharaj
Lyrics: Narci & Traditional
Music: Narci

हरिदूत लिरिक्स (नरसी)

पाप कर्म करने वाले सभी मनुष्य
अपने अपने पाप कर्म का दंड जरूर भोगते हैं
कोई भी देहवान ऐसा नहीं जो पाप ना करे
या पुण्य ना करे और
जो पाप पुण्य करेगा उसे भोगना पड़ेगा

जगज्जाल पालम् कचत् कण्ठमालं
शरच्चन्द्र भालं महादैत्य कालम्।
नभो-नीलकायम् दुरावारमायम्
सुपद्मा सहायं भजेऽहं भजेऽहं ॥

प्रेमियों के भेष में छुपे हुए ठग देखे है
ठेकेदार धर्म के हा मैंने दूर तक देखे
भीग चुके पाप में जो प्राणी मैंने सब देखे
स्वामिनी के हाथों कटे पतियों के शव देखे

धरों के बरामदे मैंने रणभू देखी
लहू से नहाती मैंने सड़कों पे गौ देखी
रिश्तों की कथा मैंने लिखी लहू देखी
पतियों के घर मैंने जली हुई बहू देखी

पशुओं और शिशुओं से होता कुकर्म देखा
पिता द्वारा बेटियों से होता दुष्कर्म देखा
फल हेतु लोभ देखा शून्य मैंने कर्म देखा

प्राणियों के हृदय में ना बसा मैंने धर्म देखा
नारी छेड़छाड़ होती खुलेआम देखी
शाम देखी जहां युवा पीढ़ी बदनाम देखी
रिश्ते निभाने की कोशिशें नाकाम देखी

वासना की गाड़ी मैंने यहां बेलगाम देखी
बुढा है ईमान पैसे को जवान देखा
पैसे आगे मैंने लाचार हाँ विधान देखा
नाम लेके दानियों को देते मैंने दान देखा

अपना भी अपनों में होते अनजान देखा
भवनों में फंसा हुआ जलता विमान देखा
हादसे में बना मैंने घोर शमशान देखा
आपसे रहित धरा मैंने स्थान देखा

मूर्खों को देते मैंने लोगों को भी ज्ञान देखा
वासना में डूबा हुआ मैंने वर्तमान देखा
इंस्टा के रील में गिरा इंसान देखा
छाती को दिखाने का नारी में रुझान देखा

गाली देने वाला मैंने यहां पे महान देखा
हरी के वजूद पे उठता सवाल देखा
मैंने अपराधशील लोगों में ख्याल देखा
मंदिरों पे होता मैंने प्रहार देखा
मैंने यहां काल देखा

रमाकण्ठहारं श्रुतिवातसारं
जलान्तर्विहारं धराभारहारम्।
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं
धृतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥

अंधकार में दीप धर्म का प्रकाश देखा
पापियों के बीच खड़ा हरी का आभास देखा
गली के प्रभाव में भक्ति का वास देखा
हरी हेतु प्राणियों में मैंने विश्वास देखा

पाप को मिटाने का मनों में प्रयास देखा
कलकी के आने का जनों में उल्लास देखा
असुरों के बीच मैंने हरि का विकास देखा
भक्ति में रास देखा

राम जी की लीला मैंने अभी भी है रची देखी
आस्था उपासकों की अभी भी है सजी देखी
मथुरा की नगरी अभी भी है सजी देखी
आस्था त्यहारों में अभी भी है बची देखी

हरि द्वार होता मैंने चमत्कार देखा
हरी अवतार हेतु मैंने इंतजार देखा
भक्तों के लिए खुला नारायण का द्वार देखा
कला को हाँ होते मैंने भव के भी पार देखा

जिस समय चार अक्षर पुकारा - नारायण
उसी समय ये पूर्ण निष्पाप हो गया

वैष्णव निशान से सजा लल्लाट देखा
कायरो से दूर सजा पुरुषार्थ देखा
हल वाले दौर में निष्ठा का साथ देखा
कभी नहीं छूटा जो वो प्रेम वाला हाथ देखा

आज भी भरे चारों मैंने धाम देखे
शिव देखे काशी अयोध्या में राम देखे
वृंदावन राधा मथुरा में श्याम देखे
भजनों में डूबे अभी भी है गांव देखे

कली तुझे मान देना मैंने इंसान देखे
तुझसे भी बड़े मैंने बस मेरे राम देखे
लालचों के व्यर्थ होते तेरे बाण देखे
बातों में जो फंसे तेरी वही परेशान देखे

बैकुंठ जाने की भक्तों में आस देखी
आत्माएं नेक मैंने भजनों के पास देखी
धर्म की पताका थी ऊंची लगी कल देखी
धर्म की पताका ऊंची मैंने आज देखी

समस्तामरेशम् द्विरेफाभ केशं
जगद्विम्बलेशम् हृदाकाशदेशम्।
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहम्
सुवैकुन्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥

भगवान के पार्षदों ने कहा
तुम्हें परम पद की प्राप्ति हुई है
चलो देखो ये भगवान का विमान आया है

त्रिलोकपति हिंदी 

लिरिक्स (नरसी)

त्रिलोकपति हिंदी लिरिक्स (नरसी)
त्रिलोकपति हिंदी लिरिक्स (नरसी)

Song: Trilokpati
Singer: Narci & Adarsh Yadav
Music: Xzeus
Lyrics: Narci

त्रिलोकपति हिंदी 

लिरिक्स (नरसी)

वो देख चुके विधवांस धरा का,
देख चुके वो रचना
हर युग में देखी गंगा
और हर युग में देखी यमुना
वो देख चुके है जन्म सभी का,
नाश साथ ही सबका
देख चुके है द्वारका डूबी
और लपटों में लंका

कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे
कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे

त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे

काशी में विराजे है केदार में भी डेरा
तुंगनाथ के शिखर से कर्म देखे मेरा
गौरा संग बैठे हो कैलाश में भी प्रभु
जैसे नयनार के उद्धार करो मेरा

तेरा कल भी ना आया
जो वो कल भी है पता उन्हे
चाँद का भी नूर भागे
रोज़ उनकी जटा छूने
बता तूने कहां सुना
कहते उनको भांग पियो
कालकूट पीने वाला
कहते है विधाता उन्हें

डमरू का जो नाद उठे,
पैरो की तेरी थाप सुने
बर्फों पे भी आग लगे
जो जटा खोल के आप उठे
भोला तन पे जो राख मले
भूतों की टोली कांप उठे
यदि तीसरी आंख खुले,
तीनो लोको में त्रास उठे

सर्वव्यापी, दूरदर्शी,
उन्हीं में जमाने है
उन्हीं की कृपा से बंधे
दास हाथों गाने हैं
हेतु महाकाल के मैं
नाचूं शमशान में भी
आज्ञा तो दे दो
हम ऐसे ही दीवाने हैं

जानो मेरी दशा हर,
बिना तेरे दिशा बंद
लीन जैसे दशानन,
तेरे बिना फसा मन
बिना तेरे सजा क्षण,
दिया मुझे प्रजा-धन
आप हो तो जीत लूंगा
प्रभु मैं तो सजा रण

आप से हूं रजामंद,
आप से ही बसा घर
पी बैठे हो व्यथा हर
जैसे प्रभु हलाहल
यदि प्रभु खड़ा बल,
तुम ही मेरी धरातल
आप से है वर्तमान,
आप से है बना कल

कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे
कितनी ही बार कैलाशपति
तुमने चारों युग देखे

त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे

राम जपे तोहे,
तुम जपे राम नाम को
जहाँ महादेव
वहाँ हरि का भी नाम हो
ना साल ऐसा गया
तुझे दिन भी ना दिया
जब मैंने तेरे हाथ में
ना धरी मेरी शाम हो

तीन धारी तिलक देता
माथे को भी चैन
दिखा जो केदार तो
भीगे मेरे नैन
महाकाल बोले
दिल बना ये उज्जैन
मृत काया करना मेरी
काशी में दहन

हाथों में त्रिशूल थामा,
मेरा भोला सबसे दूर बसा
मैं घूमूँ पापी धूल रामा,
प्रभु करो मेरी भूल क्षमा
खुद से जो तूने दूर करा
तो रुक जाएगा खून मेरा
खून मेरा ना किसी काम का
यदि तुझे वो भूल गया

भक्तों के बने वो तो
प्रातःकाल सारथी
महाकाल आरती में
मैं तो क्षमा प्रार्थी
बड़े किये पाप प्रभु
आत्मा निकालो
साथ में उतार देना
दास की ये ख़ाल भी

बैठा तेरी धरा पर
आस को भी लगा कर
मुझे मिली दगा पर
चैन तेरी जगह पर
दिल यदि चला छल तो
काटो मेरे गला कल
जपके प्रभु हरि हर
दास का भी चला घर

आप से हूं रजामंद,
आप से ही बसा घर
पी बैठे हो व्यथा हर
जैसे प्रभु हलाहल
यदि प्रभु खड़ा बल,
तुम ही मेरी धरातल
आप से है वर्तमान,
आप से है बन कल

त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे
त्रिलोकपति तोहे सारी खबर
कब क्या होगा और कैसे...

जटाजूट हिंदी लिरिक्स

जटाजूट हिंदी लिरिक्स
जटाजूट हिंदी लिरिक्स

Song: Jatajoot (जटाजूट)
Rap: Narci / narci_thoughts
Singer: Abhilipsa Panda / jazz_from_abhilipsa
Voice: Premanand Maharaj
Lyrics: Narci & Traditional
Music & Arrangement: Narci

जटाजूट हिंदी लिरिक्स

[अभिलिप्सा पांडा]
पशूनां पतिं पापनाशं परेषाम्
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वासनां वरेण्यं
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गंगवारिम्
महादेवमेकं स्मरामि स्मररिम्

[प्रेमानंद महाराज]
हमें कोई परम पद नहीं चाहिए
हमारे अंदर कोई ऐसी आकांक्षा नहीं
कि हम शिव को छोड़ कर कोई परम पद पाये

[अभिलिप्सा पांडा]
शिवकान्त शम्भो ससंकरधमौले
महेशां शूलिं जटाजूटधारिं
त्वमेको जगद्व्यपाको विश्वरूप
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप

[नरसी]
शिव शीश धारणी के जैसा खड़ा प्राणी
स्तुति हेतु तेरी रोज़ गूँजे मेरी वाणी
गाते हुए स्तुति बहता आँखों से जो पानी
साफ ही बताता है सांसें भोले की दीवानी

ना बस मेरे क्रोध, लोभ, ना ही काम वासना
स्वयं ही मैं भटका हूं क्या औरों को दूं रास्ता?
पैर मेरे पापी प्रभु रुके तेरे द्वार पे
क्षमा करो पाप और बचा लो मेरी आस्था

बोलो नयनार जैसे कैसे देदुं नैन?
कैसे काटूँ सार, होगी पीड़ा ना सेहन
कायर है ये दास बातें बड़ी करना जाने
कैसे बन सती करूं काया भी दहन?

मांग रहा मृत्यु न क्षमा प्रभु खुद को
तारो मेरे प्राण ताकी आत्मा ये शुद्ध हो
आंखें करी बंद मैंने ये लो महादेव
उठा के त्रिशूल काटो पापी मेरे मुंड को

[अभिलिप्सा पांडा]
शम्बो महेशा करुणामय शूलापने
गौरीपतये पाशुपतये पाशुपासनाशिन्
काशीपते करुणाय जगदेतदेकस
त्वं हंसि पासि विदाधसि महेश्वरोसि

[प्रेमानंद महाराज]
वो शिव है, समझ रहे हैं ना?

[अभिलिप्सा पांडा]
न भूमिर न चापो न वह्निर न वायुर
न चाकास अस्ते न तन्द्रा न निद्रा
न ग्रिश्मो न शीतो न देशो न वेशो
न यश्यस्तु मूर्तिस्त्रीमूर्ति तामिदे

[नरसी]
देके मेरी सांसे है बैकुंठ में ही जागना
जानते हो भोले कलि काल आया रास ना
काया लेके आया माना काले इस काल में
त्रेता वाले काल में पर छोड़ आया आत्मा

कर दो आज़ाद, प्रभु प्राण मेरे मांग लो
छोड़ दूँगा जान लेके हरि हर नाम को
सुनो जटाजूट बस दास की ये याचिका
हाथ मेरा थाम लेके चलो हरि धाम को

बेकली ये दास की कभी आके देख नाथ
रात भर जाग के ना यूं ही लिखे लेख नाथ
मोक्ष के समान होगा क्षण वो तो प्रभु
आपको और हरि को जो देख लूँगा एक साथ

आप में समाना प्रभु सारों को ही अंत में
आप ही मिटाना प्रभु ब्रह्म वाली ढूंढ ये
मृत्यु को पा के भी मैं रुकूंगा ना प्रभु
आ रहा हूँ भोले लेके कटा हुआ मुंड में

[अभिलिप्सा पांडा]
शिवकान्त शम्भो ससंकरधमौले
महेशां शूलिं जटाजूटधारिं
त्वमेको जगद्व्यपाको विश्वरूप
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप

[नरसी]
देके मेरी सांसे है बैकुंठ में ही जागना
जानते हो भोले कलि काल आया रास ना
काया लेके आया माना काले इस काल में
त्रेता वाले काल में पर छोड़ आया आत्मा

कर दो आज़ाद, प्रभु प्राण मेरे मांग लो
छोड़ दूँगा जान लेके हरि हर नाम को
सुनो जटाजूट बस दास की ये याचिका
हाथ मेरा थाम लेके चलो हरि धाम को

फिर हरि और मैं

लिरिक्स (नरसी)

फिर हरि और मैं लिरिक्स (नरसी)
फिर हरि और मैं लिरिक्स (नरसी)

Song: Phir Hari Aur Main
Rap: Narci
Singer: Adarsh Yadav
Lyrics: Narci
Music & Arrangement: Narci

फिर हरि और मैं

लिरिक्स (नरसी)

ये दुनिया पूछे खोया कहां ?
ये दुनिया पूछे खोया कहां ?
जहां हरि है लिखा मैं खोया वहां
जहां हरि है लिखा मैं...

जिसने जीवन भर हरि ही रटा
वो हरि के सिवा और क्या जानें ?
जिसने जीवन भर हरि ही रटा
वो हरि के सिवा और क्या जानें ?

हम नारायण से भेंट सिवा
इस जग में भला और क्या मांगे ?
हम नारायण से भेंट सिवा
इस जग में भला और क्या मांगे ?

गानों में दीवानों सा मैं हरि को पिरोता
न दास कभी होता हरि नाम जो न होता
करने को बातें बड़ी प्रभु मैं हूं छोटा
दिल ये दीवाना हरि कथा का ही श्रोता है

देके मुझे पर बोले आसमान में उड़
पाके हरि कृपा को हैरान हूँ मैं खुद
आप ही आज्ञा से रुका हूं मैं यहां
अन्यथा बुला रहा है आपका बैकुंठ

दिल प्रभु पापी जरा लेना तू संभाल
लेके अवतार चाहे देना प्रभु तार
जय और विजय जैसा यदि करा दूर तो
प्रभु हर काल में ही आप बनो काल

धन्यवाद आपका जो दे रहे हो साथ
आप ही न दिया सब, मेरी क्या औकात
दीया सब प्रभु यदि छीन भी हां लोगे
फिर भी न बांधूंगा शिकायतों का बांध

जिसने जीवन भर हरि ही रटा
वो हरि के सिवा और क्या जानें ?
जिसने जीवन भर हरि ही रटा
वो हरि के सिवा और क्या जानें ?

हम नारायण से भेंट सिवा
इस जग में भला और क्या मांगे ?
हम नारायण से भेंट सिवा
इस जग में भला और क्या मांगे ?
जिसने जीवन भर...
जिसने जीवन भर...

जिसने जीवन भर हरि ही रटा
वो हरि के सिवा और क्या जानें ?

ये गाना नहीं प्रार्थना, कागज़ों में आत्मा
नैन देखे रास्ता आप ही के धाम का
साथ बिना आपके कभी भी ना खास था
आप ही ना होते तो मैं भूल जाता रास्ता

व्यस्त है जमाना सारा, हरि को ही पाने में
पाने में ना मजा, जो मजा है समाने में
कैसे दीवाने तेरे लोग क्या ही जाने
आंसू बहा के प्रभु लिखे मैंने गाने

हरि मेरी आत्मा है, प्राण, हृदय, सुध
हरि करे शान्त मेरे अन्तरिक युद्ध
घूमता मैं पीठ पे बैठा के प्रभु आपको
मुझे जो बनाया होता आपने गरुड़

भक्ति को देखे प्रभु देव और असुर
गाऊँ हरि गीत माना बेसुरे है सुर
घूमता मैं पीठ पर बैठा के प्रभु आपको
मुझे जो बनाया होता आपने गरुड़

अब सौंप दिया इस जीवन का
सब भार तुम्हारे हाथों में
है जीत तुम्हारे हाथों में,
है हार तुम्हारे हाथों में

मुझमें, तुझमें भेद यही,
मैं नर हूं, तुम हो नारायण
मैं हूं संसार के हाथों में,
संसार तुम्हारे हाथों में

जिसने जीवन भर हरि ही रटा
वो हरि के सिवा और क्या जानें ?
जिसने जीवन भर हरि ही रटा
वो हरि के सिवा और क्या जानें ?

हम नारायण से भेंट सिवा
इस जग में भला और क्या मांगेगे ?
हम नारायण से भेंट सिवा
इस जग में भला और क्या मांगेगे ?

कुम्भ कथा 

(आस्था कि डुबकी)

कुम्भ कथा (आस्था कि डुबकी)
कुम्भ कथा (आस्था कि डुबकी)

Song: Kumbh Katha
Rap: Narci
Singer: Shailendra Bharti
Lyrics: Narci & Sant Kabir Das
Music, Mixing & Mastering: Xzeus
Label: Universal Music

कुम्भ कथा 

(आस्था कि डुबकी)

NARCI

मेरा मुझमें कुछ नहीं
जो कुछ है वो तेरा
मेरा मुझमें कुछ नहीं
जो कुछ है वो तेरा
तेरा तुझको सौंपते
क्या लागे है मेरा
क्या लागे है मेरा

कुछ भी ना मेरा प्रभु
तेरा तुझे अर्पण
तूने ही दिखाया मुझे
कर्मों का दर्पण
नाम लेके तेरा बीता
प्रभु मेरा हर क्षण
दिया तूने सब
बस अब मांगूं दर्शन
कुम्भ कि ये घडी आयी
कई सालों बाद
प्रयागराज थामे
जयकारों का नाद
हरिद्वार गूंज उठा
हरी हर बोलों से
नासिक उज्जैन
थामे आस्था कतार
कुम्भ पीछे कथा क्या
नहीं तुझे पता यदि
कथा ये बताने को
हरी का भी दास यहीं
चिंता न करो
संक्षेप में बताऊंगा
भक्तों के दिलों के
समीप है क्यूँ ये घडी ?
उस घटना को
गाने में है बाँध दिया
जब ऋषि दुर्वासा ने
था श्राप दिया
स्वर्ग लोक हाँ छोड़ के
विलास गया
तीनों लोकों में था
बलि ने ही राज किया
फिर क्या था
देवों में निराशा जागी
समाधान हेतु
आँखें हरि धाम भागी
हरि बोले-
जाके असुरों से बात करो
बचा यही आगे
देवों अब रास्ता ही
सुनो देवों करो ज़रा गौर
मंदार पे बनाओ तुम
वासुकी को डोर
उठेगा समन्दर में
मंथन का शोर
सुधा ही बनेगा
इस श्राप का ही तोड़
असुरों ने मान लिया
देवों का सुझाव
असुरों के दिल में था
लोभ गया जाग
हरि बने धरातल
कुर्म अवतार में
अमृत प्राप्ति की
लगी फिर आग
मथने को सागर
बढ़ा देखो वेग
रत्नों का आगमन
सारे रहे देख
हलाहल निकला जो
किसी ने भी पिया ना
पिने को पधारे
उसे स्वयं महादेव

माया मुई ना मन मुआ
मरी मरी गया शरीर
माया मुई ना मन मुआ
मरी मरी गया शरीर
आशा तृष्णा ना मुई
कह गए दास कबीर
रे भाई कह गए दास कबीर

जैसे ही निकला था
मंथन से कुम्भ
कुम्भ से सुधा को
पीने की धुन
देवों ने थामा था
अमृत कलश
असुरों के नैनों से
हुए थे गुम
हाथों में कुम्भ था
पैरों में वेग
असुर थे पीछे
और आगे थे देव
12 दिनों तक
ये चली थी दौड़
कहाँ दौड़ में बूंदे हाँ
गिरी थी देख
चार स्थानों पर थे
गिरी बूँदें कुम्भ से
बोलो क्या बताओगे ?
जो स्थान पूछूं तुमसे
चार इन स्थानों ने
बूँदें करी ग्रहण
हरिद्वार प्रयागराज
नासिक उज्जैन
गंगा यमुना गोदावरी
और शिप्रा
बनी थी पावन
जो शुधा था बिखरा
यदि कोई ग्लानी का
काँटा है चुभता
तो कर ले स्नान
और अंत होगा दुःख का
वृश्चिक राशि में सूर्य और चन्द्र हो
ब्रहस्पति मेष में
डाल देता चरण हो
मकर सक्रांति में
होता ये योग
छू के हाँ पानी को
तन माना धन्य हो
कुम्भ के मेले में
लेना स्नान
स्वर्ग के साक्षात
दर्शन समान
कहते है-
मिलता दासों को मोक्ष
कर ले हाँ प्राणी
तू हरी का ध्यान
ये जो कर्म है
यही तेरे साथ है
यही साथ होंगे
तुझे भी ये ज्ञात है
काया तेरी कल
खाक होगी घाट पे
भार लेके नहीं सोना
कोई खाट पे
वैसा पायेगा तू प्राणी
जैसा बोयेगा
बेड़ा पार होगा
हरि में जो खोएगा
तन धोया तूने
पावन सी नदियों में
लेके हरि नाम
पर दिल को भी धोएगा
करने है पाप
बाद करने के जाप
तो तुझको है देना
बस यही सुझाव
कुम्भ में उनके ही
धुलते है पाप
जो सच्चे ह्रदय से
चुने पश्चाताप

कबीर सुता क्या करे ?
जागी ना जपे मुरारी
कबीर सुता क्या करे ?
जागी ना जपे मुरारी
एक दिन तू भी सोवेगा
लम्बे पाँव पसारी
रे भाई लम्बे पाँव पसारी..

हरी मुझे भूल गए लिरिक्स

(NARCI)

हरी मुझे भूल गए लिरिक्स (NARCI)
हरी मुझे भूल गए लिरिक्स (NARCI)

Song: Hari Mujhe Bhool Gaye
Rap & Lyrics: Narci
Vocals: Swami Mukundananda
Music & Arrangement: Narci
Mixing & Mastering: Xzeus

हरी मुझे भूल गए लिरिक्स

(NARCI)

अपने इस जीवन में
भगवान को बिच में डालो
और जो करते हो
उनकी ख़ुशी के लिए करो
तुम जहाँ जाओ
फील करो
वो साथ में हैं
वो मेरे साक्षी हैं
और मेरे रक्षक हैं

मैं जीत हार से परे हूँ
बैठा तेरे पैरों पे
आत्मा तो त्रेता में
ये काया घुमे शहरों में
ना आशा या प्रतीक्षा
बैठा कर्मों के में घेरों में
नाम लेके तेरा घूमूं
माया के अंधेरों में
तेरा ही है, तेरा ही है
तेरा ही है, सब प्रभु
आगे तेरे रूप के मैं
खुद बता दे क्या कहूँ
मांगने कि सूची में
न कुछ लिखा है मेरी
बस इतना बोल देना
तेरे साथ मैं तो खड़ा हूँ
मैंने क्या कमाया जो
मैं दावा करूँ चीज़ों पे
तेरी है दीवानगी
क्या पीछे भागूं पैसों के ?
पैसों को कमाने कि भी
दे दी राहें सौ मुझे
है तेरा अधिकार प्रभु
धरा के भी जीवों पे
आपने ही दिया सारा
आपको न्योछावर
दुनिया से मैं कट चूका हूँ
बन चुका हूँ पागल
पागलों के जैसे घूमूं
धाम तेरे साल भर
कभी बैठा काशी,
कभी वृन्दावन में दाखिल
पीड़ा भी स्वीकार करी
जपके माला राम कि
मीरा जैसी हो चुकी है
कला भी ये श्याम कि
कल को मुझे दोगे यदि
मौत मेरे नारायण
उसका भी ना डर क्यूंकि
वो भी दोगे आप ही
ना सोचता हूँ कौन मेरी
ज़िन्दगी से दूर गये
कौन मेरे दिल को
हाँ तोड़के हुज़ूर गए
कांपता है दिल पर
सोच के ये रोज़ कि
होगा मेरा क्या यदि
हरी मुझे भूल गए ?
हरी मुझे भूल गए
तो आँखें ये तालाब है
यदि हरी मुझे भूल गए
मेरी कला पूरी ख़ाक है
यदि हरी मुझे भूल गए
तो मेरी सांसे मुझे भूल गई
यदि हरी मुझे भूल गए
फिर जीने का क्या लाभ है

क्या प्रभु कमाया मैंने
क्या प्रभु गवाया
किया कर्म मेरा
ना तुमसे छुप है पाया
आया मुड़ के भी नतीजा था
जो कर्मों ने कमाया
हँसी , पीड़ा , सजा मैंने
सब कुछ ही अपनाया
तेरा ही है, तेरा ही है
तेरा ही है, सब प्रभु
आगे तेरे रूप के मैं
खुद बता दे क्या कहूँ
मांगने कि सूची में
न कुछ लिखा है मेरी
बस इतना बोल देना
तेरे साथ मैं तो खड़ा हूँ
शायर तेरा पापी है
ना दिल है योग्य माफ़ी के
सब प्रभु तुम्हें पता
ना कुछ बताना बाकी है
पाप देख के भी मुझको
दे रहे हो मौके जो
ये देख मेरी शर्म से
हाँ नीचे दोनों आँखें है
क्षमा करो पापों को
प्रभु तेरा धाम दो
पैरों में ही तेरे
पापी को भी स्थान दो
छूटे चाहे साथ
ज़िन्दगी के सुखों का
मैं जैसे हाँ प्रह्लाद के
ना छोडू तेरे नाम को
फीके लगने लग चुके
दुनिया के भी भोग ये
आना तेरे पास ही
सारा कुछ भोग के
होंठ हारे दास के
हाँ बोल एक ही बात
बुला लो अपने धाम
दो आज़ादी मृत्युलोक से
ना सोचता हूँ कौन मेरी
ज़िन्दगी से दूर गये
कौन मेरे दिल को
हाँ तोड़के हुज़ूर गए
कांपता है दिल पर
सोच के ये रोज़ कि
होगा मेरा क्या यदि
हरी मुझे भूल गए ?
हरी मुझे भूल गए
तो आँखें ये तालाब है
यदि हरी मुझे भूल गए
मेरी कला पूरी ख़ाक है
यदि हरी मुझे भूल गए
तो मेरी सांसे मुझे भूल गई
यदि हरी मुझे भूल गए
फिर जीने का क्या लाभ है

क्यों मैं ये सब कार रहा हूँ ?
वो मेरे लिए महत्वपूर्ण हो गया
कि मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है ?
मैं कौन हूँ ?
मैं इस संसार में आया क्यूँ हूँ ?

मर्यादा -1 हिंदी लिरिक्स 

(नारसी)

मर्यादा -1 (नारसी)
मर्यादा -1 (नारसी)

Song: Maryada
Rap & Lyrics: Narci
Vocals: Dhirendra Krishna Shastri
Music & Arrangement: Narci
Mixing & Mastering: Xzeus

मर्यादा -1 हिंदी लिरिक्स (नारसी)

इंसान अपने नश्वर कार्यों में ही इतना मगन है
की स्वयं परमात्मा भी उसके सामने प्रकट हो
तो उन्हें भी पहचान की तसदी ना ले

सात वचन तो लेने हैं पर
सात कदम ना चलना है
रिश्तो में ना रंग वफा का
यहां किसी को भरना है
राम चाहिए सारों को
ना खुद बने पर जानकि
सीता चाहिए सारों को
ना राम किसी को बनना है
वादे करके तोड़ेंगे
क्या सीख कथा से हम लेंगे
जो प्रेम निभाना जानेगा
संगीन उन्हीं को कम लेंगे
मर्यादा पुरुषोत्तम की तो
बातें करते सालों से
हम मर्यादा ही लांघ चुके हैं
रिश्ते कैसे संभलेंगे ?

महत्वपूर्ण है चरित्र
आपका चरित्र इतना पवित्र हो
की कोई उंगली उठा करके ना देखें
वही व्यक्ति सकल जहां में पूज्य होता है

स्वयं को कैसे राम कहे जब
निष्ठा की ना शक्ति है
केवट भी हम क्या बने
ना दिल में वैसी भक्ति है
स्वयं को कैसे राम कहे जब
संयम ना है काम में
सीता के रहते हां आंखें
सूर्पनखा पे अटकी है
सूर्पनखा कसौटी है
जो परखे तेरा सच्चा नर
रावण भी कसौटी परखे
तेरी सच्ची नारी को
जो पार करे कसौटी को
बस वही सकेगा प्रेम निभा
जो हार गया वो पहन मुखोटे
ठगेगा दुनिया सारी को
किष्किंधा में वानर दल से
भेंट प्रभु की याद मुझे
गहने देखे सीता के तो
खुश हमें रघुनाथ दिखे
क्या यही हार वो भाई मेरे
जो सीता ने मेरी पहने था ?
क्षमा मांग के लखन ये बोले
"इसकी ना पहचान मुझे"
रोती आंखें प्रभु राम की
देख रही हैरान उसे
लखन बोले भैया को
"ना सच में भ्राता ध्यान मुझे"
स्पर्श किए हैं पैर सदा ही
भाभी के मैं भ्राताश्री
आंख उठा कर देखा ना
बस पायल की पहचान मुझे
मर्यादा की सोचा फिर से
बात कान में भर दूं मैं
रिश्ते मैले कर बैठे जो
बात पुनः वो कर दूं मैं
मर्यादा कुछ ऐसी लांघी
काले युग के लोगों ने
था जिसका दर्जा माता का
वो आज वासना वस्तु है
एक लहू का होके भी क्यों
इक दूजे को दबा रहे
रिश्तेदारी देखूं तो हां
सारे देते दगा रहे
राम की लीला देखेंगे हम
कहने को बस नौ दिन की
भरत के जैसा भाई मगर ना
स्वयं के अंदर जाग सके

किसी को किसी के होने या ना होने से
कुछ खास फर्क नहीं पड़ता
सब अपने-अपने मसले में है

राम कथा तो रोज पढ़ी
ना खुद में लाया त्रेता कल
पाप तमाचे के आगे हम
रख चुके हैं दोनों गाल
खुद के अंतर्मन से ही
जवाब हमें मिल जाएगा
हम कितने हैं मर्यादा में यदि
खुद से पूछे ये सवाल
पांचाली का चीर हरण था
बहा गया आंखों से नीर
धर्म देखिए रोया होगा
सभा में बैठे कैसे वीर
वसुदेव ने स्वयं थे भेजें
पांचाली को वस्त्र वहां
आज की नारी रील के खातिर
स्वयं उतरे पहने चीर
मर्यादा क्या लांघी
ना रिश्तों का सम्मान हुआ
छल बना है साथी
ईमान यहां मेहमान हुआ
दिन गुजरा प्रेमी संग
रात साथ है गैरों का
बिस्तर पर इंसान बदल के
सोना भी आसान हुआ
पारंपरिक पोशाकों के ये
नाम पे करते अंग प्रदर्शन
बेहुदगी पंडालों में ये
करेंगे कैसे मां के दर्शन
व्यस्त पड़े दुर्गा पूजा की
सेवा में हम पूरा दिन
ये व्यस्त पड़े कि इंस्टा की फोटो पे
डाले क्या ही 'कैप्शन'
इंस्टा का कसूर नहीं
ये सभ्यता से दूर गए
पल्लू से छाती ढकने की
मर्यादा भी भूल गए
बेहुदगी स्वीकार करी
और इंस्टा पे भी रिच बड़ी
फांसी में पर मर्यादा और शर्म
लटक के झूल गये
मैं पाबंदी ना लगा रहा
ना सोच लघु मेरे अंदर है
मैं सर्वाधुनिक साथ हृदय में
राम भजन समंदर है
पहनावे के नहीं विरुद्ध
इंस्टा का प्रयोग करो
पर सुंदरता और वस्त्र हीनता
दोनों में ही अंतर है
मुझे यदि ना सुनना है तो
राम सिया का नाम सुनो
चीज क्यों ना बदलेगी
एक बार हरि का धाम चुनो
गीतों को गीतों के जैसे
सुनते हैं बस लोग यहां
गीत भूल ही जाने हैं तो
इससे बेहतर ना सुनो
मैं भी तेरे जैसे ही हूँ
मेरा भी है आम कक्ष
पन्नू और संगीत के जरिए
करता मैं तो काम व्यक्त
फैन कहो ना खुद को तुम
परिवार हो सारे
कुछ कहना ही है तो
कह देना कलाकार या राम भक्त

परमात्मा ! सामने और प्रकट?
हां जब भी जीव को
इस पृथ्वी पर मनुष्य देह मिलता है
तब परमात्मा किसी ने किसी रूप में
पृथ्वी पर जरुर प्रकट होते हैं

ना साथ तेरे मैं जाऊंगा
ना गीत साथ में जाएंगे
एक दिन तुम मुझे भी सब
चिता पर लेट पाएंगे
मर्यादा और कर्मों की
मैं बातें करता ऐसे ना
जब होगा मृत्यु सैया पे
तो कर्म याद ही आएंगे
ना साथ तेरे में जाऊंगा
ना गीत साथ में जाएंगे
एक दिन तुम मुझे भी सब
चिता पर लेट पाएंगे
कमेंट करो ना लाइक करो
ना गीत लगाओ स्टोरी पे
पर गीत बस जो दिल पे ये
तो शब्द सफल हो जाएंगे

राम बिन जाऊं कहाँ लिरिक्स

(NARCI)

राम बिन जाऊं कहाँ लिरिक्स (नरसी)
राम बिन जाऊं कहाँ लिरिक्स (नरसी)

Song: Ram Bin Jaaun Kahan?
Singer: Shri Alok Sahdev
Rap & Lyrics: Narci
Music: Narci
Arrangement: Narci
Mixing & Mastering: Xzeus

राम बिन जाऊं कहाँ लिरिक्स

(NARCI)

मेरे दिल का स्वामी प्रभु एक तू है
मेरे दिल का स्वामी प्रभु एक तू है
तेरी ही मुझे रात दिन जुस्तजू है
तेरी ही मुझे रात दिन जुस्तजू है

मेरे दिल का स्वामी प्रभु एक तू है
मेरे दिल का स्वामी प्रभु एक तू है
तेरी ही मुझे रात दिन जुस्तजू है
तेरी ही मुझे रात दिन जुस्तजू है

जब दिल ये टूटे सौ दफ़ा,
तुम ही मेरे साथ हो
तुमसे नहीं छुपे प्रभु घाटे सारे हादसे
समय आया बुरा, करे लोगों ने भी फासले
हाथ नहीं छोड़ा मेरा प्रभु पर अपने
रात से प्रभु लिख रहा हूँ गीत ये
पाया सारा कुछ फिर भी दिल में पीड़ है
तेरा साथ तो पाया सब पास
जब तू ही ना साथ फिर क्या बची उम्मीद है
तूने सहा जो हम कहाँ वो सह सके
शबरी जैसे मेरे आंसू कहां बेह सके
तेरी यात्रा के मयाने न जान सके
मर्यादा, हमसे भी ना रह सके
कुछ भी मेरा नहीं ऊंची क्या मैं शान करूं ?
चैन पाने को प्रभु तेरा ध्यान करूं
हरि देख मुझे बोलते तो होंगे ही
पाप तेरे वैरी है तो मैं क्या तेरे प्राण हारूँ
स्वयं से ही पूछा जब मैंने हां ये सवाल
बेटा बनके नेक सका है क्या घर संभाल ?
क्या बातें कभी करी माता पिता से ?
श्रवण बनने का तू करना भाई फिर ख्याल
ये जो चार धाम पहले घर के भीतर है
कर्ण सेवा सच्ची वो भी तो हां तीर्थ है
यदि श्रद्धा है तो पथर भी तो जीवित है
यदि नहीं है तो मूरत केवल मूरत है
ये तो शुक्र है कि राम ही आराध्य है
बीना राम के तो हम भी सखा आधे हैं
मैं तो नाम लेके करता हूं बस कोशिशें
बाकी काम मेरा वही तो बनते है
तेरी लीला को ना जान सके ज्ञानी हैं
बात सोच के ये होती तो हैरानी है
दिल देके प्रभु त्रेता वाला तूने और
काले काल मैं छोड़ दिया प्राणि ये

बिना तेरे दुनिया में है कौन मेरा ?
बिना तेरे दुनिया में है कौन मेरा ?
अगर आसरा है तो तेरा प्रभु है
अगर आसरा है तो तेरा प्रभु है
मेरे दिल का स्वामी प्रभु एक तू है
मेरे दिल का स्वामी प्रभु एक तू है

भक्ति और पागलपन में
अधिक अंतर नहीं होता
सांसारिक दृष्टि से देखो तो
भक्त पागल ही जैसा दिखता है

तेरी लीला को ना जान सके ज्ञानी है
बात सोच के ये होती तो हैरानी है
दिल देके प्रभु त्रेता वाला तूने और
काले काल में छोड़ दिया प्राणी ये

तेरी लीला को ना जान सके ज्ञानी है
बात सोच के ये होती तो हैरानी है
दिल देके प्रभु त्रेता वाला तूने और
काले काल में छोड़ दिया प्राणी ये
अगर आसरा है तो तेरा प्रभु है...

भरत के राम रैप लिरिक्स

(NARCI)

भरत के राम रैप लिरिक्स (NARCI)
भरत के राम रैप लिरिक्स (NARCI)

Song: Bharat Ke Ram
Singer: Sh. Hariharan
Rap & Lyrics: Narci
Music, Mixing & Mastering: Xzeus
Artwork/Poster: Teju Jangid
Bharat's Dialogues: Narci
Bharat's Voice: Heera Singh
Visuals: iKillGraphix
Label: Universal Music Group

भरत के राम रैप लिरिक्स

(NARCI)


राम ही तन में, राम ही मन में
राम के बिन कहीं, चैन ना पाऊं
राम ही तन में, राम ही मन में
राम के बिन कहीं, चैन ना पाऊं
साँसें उस दिन ही रुक जाए
साँसें उस दिन ही रुक जाए
जिस दिन राम को मैं बिसराऊ
राम ही तन में, राम ही मन में
राम के बिन कहीं, चैन ना पाऊं

न थी खबर भरत को ये की
राम जा चुके थे वन
जब पता लगा तो काँपी
आत्मा और पूरा तन
स्वयं की माता पे था
रोष आया निरवधि
पूछा कैसे क्रूर हुआ
माता का हाँ कोमल मन ?
पिता का साथ क्यूँ हटा
क्या था मेरा प्रभु कसूर ?
दिन ऐसा क्यूँ दिखा
विधाता क्यूँ बना क्रूर ?
बेसहारा प्राणी तेरा
टूट चूका पूरा है
पिता समान भाई को भी
कर दिया क्यूँ ऐसे दूर ?
भाई लखन और सीता माँ भी
सोचते क्या होंगे ही
राज छीना माँ के संग और
अब बना है ढोंगी ही
बिन मुझे हाँ राम के
स्वीकार नहीं राज्य है
बिन मुझे हाँ राम के
ना गद्दी चहिए सोने की
भाई ने ठाना संग सेना के
जायेंगे मिलने राम को
पड़ पैरों पे माँग क्षमा
मैं आऊँगा लेके राम को
विरह ये विधाता मेरे
प्राण खींचे ना जाए कहीं
मरना भी यदि तय है तो
आगे देखूँ राम को
साथ चली थी सेना, भाई
गुरु और तीनो मातायें
प्रकृति से पूछ रहे थे
कहाँ पे मेरे भ्राता है ?
उड़ते पंछी, वनों के वृक्षों
दे दो हाँ संकेत कोई
राह कौनसा प्रभु राम को
मुझे बता दो जाता है
पैरों में ना पादुकायें
बेचैनी है चहरे पे
माथे पे पसीना और
पैर चले न धैर्य से
नदी यदि हाँ राह भी रोके
उसमें भी वो तैरेंगे
काँटों की वो बेले लम्बी
हास कर तन पर पहनेंगे
मिलने हेतू प्रभु राम से
ह्रदय बड़ा ही पागल है
तूफानों के वार भयानक
सेह रहे है साहस से
प्रकृति को कह रहे है
ले ले चाहे प्राण मेरे पर
दो भाइयों को उससे पहले
मिलने देना आपस में
भरत यदि भूमि है तो
राम उसपे बारिश है
राम नाम के बिना भरत
पूरा ही तो खाली है
चाल लड़खड़ाती मेरी
राम ने संभाली है
राम पूरा वृक्ष
ये प्राणी छोटी डाली है

इस दो अक्षर में जग है समाया
नस नस में बहे भक्ति तेरी
नस नस में बहे भक्ति तेरी
निश दिन भजन तेरा ही गाऊं
साँसें उस दिन ही रुक जाए
जिस दिन राम को मैं बिसराउं
राम ही तन में, राम ही मन में
राम के बिन कहीं, चैन ना पाऊं

मिला पता जो भ्राता का तो
गति बढ़ा दी पैरों ने
हुआ असर ना काँटों का भी
जो चुभे है पैरों पे
चाहते है वो देखना
चेहरा अपने भाई का बस
भाग रहे है दूर भरत
विरह के अंधेरों से
लक्षमण ने सुनी आवाजें
बीच वनों में अश्वों की
थाम धनुष वो देख रहे है
हलचल आगे वृक्षों की
देख भरत को सेना संग
बोले अपने भैया को
देह भरत का आज बनेगा
तीरों का मेरा लक्ष्य ही
नाम सुना जो भाई का तो
राम लबो पे लाये हँसी
अश्रु से है नैना नम
पैरों पे है धीमी गति
भाई लखन के कंधे पर
हाथ रखा और बोले राम
प्रिय भरत की आत्मा
कभी लोभ में नहीं फसी
बात बिना ना जाने तुम
नियत उसकी तय करो
धनुष करो ये नीचे और
बेमतलब ना भय करो
भरत हमारा साफ ह्रदय से
चलना जाने भाई मेरे
देखो उसकी आँखों में
साफ लिखा है न्याय पढ़ो
लक्षमण ये कांटें सौ
यदि यहाँ पे बिखरे होंगे
देख इन्हें वो रोयेगा
दिल के भी सौ टुकड़े होंगे
अभी हटा दो कांटें ये
अन्यथा वो सोचेगा की
कैसे हम तीनों
इस राह से निकले होंगे
पास राम के पहुँचे जब
आँखों से न नीर रुका
संन्यासी हाँ रूप राम का
ह्रदय भरत का चीर चूका
जिस भाई को देखा था
राजसी पहनावे में
देखेंगे उन्हें ऐसा भी
सोच ह्रदय ये पीड में था
पैर भागे राम को
उन्हें दिखा ना और कोई
गले लगाकर प्रभु राम को
भरत की आँखें खूब रोई
भरत को ऐसे चैन मिला
प्यासे को हाँ जैसे जल
गले लगाकर भाई को
पीड़ा सारी दूर हुई
नज़रों से ना हट सके है
मोहक ऐसा चित्र कुछ
देख नज़ारा बंधुत्व का
धन्य हुआ चित्रकूट
भरत मिलन की ये कथा
अमर रहेगी श्रष्ठी में
राम कथा में अमर रहेगा
पावन सा ये चित्रकूट

साँसें उस दिन ही रुक जाए
जिस दिन राम को मैं बिसराऊ
राम ही तन में, राम ही मन में
राम के बिन कहीं, चैन ना पाऊं

मौन भरत का राम के दिल को
कर रहा है क्यूँ भारी है ?
बात दबी है क्या दिल में
क्यूँ भरत खड़े लाचारी में ?
श्री राम के दिल की लो
गति बढ़ी है तेजी से
तीनों ही माताओं को
जब देखा श्वेत सारी में
पिता गये है छोड़ हमें
जब खबर सुनाई भाई को
राम, लखन, सीता को
जैसे गर्जन छूने आयी हो
ह्रदय गया था हिल पहले
फिर आँखों से ना नीर थमे
पूछ रहे विधाता को
ये घड़ी हमें दिखाई क्यूँ ?
भरत ये बोले भाई को
ना साथ आपसे छूटेगा
आज यदि ना लौटे तो
हर प्राणी मुझको पूछेगा
राम भरत को बोले ये
प्रजा तुम्हें ना कोसेगी
लौट गया जो वापिस मैं तो
दिया वचन भी टूटेगा
रघुकुल की रीत निभाने
वनों को है प्रस्थान किया
वचन निभा के लौटूँगा मैं
सोचके सीना तान लिया
राज संभालो भाई मेरे
यही आदेश मेरा है
सुनके बातें रघुवीर की
भरत ने कहना मान लिया

भैया , मैं राजा नहीं
आपका सेवक हूँ
आपके लौटने तक
आपकी चरण पादुकाये ही
सिंहासन पर विराजमान रहेंगी
उन चरण पादुकाओं का आशीर्वाद लेकर ही
ये, ये भरत श्री राम का राज कार्य करेगा

पैर लगा पादुका पे
दूर करी मेरे दिल की क्षति
पादुकायें सर पे रख
भरत ने दिल की बात रखी
प्राण मेरे मैं दूँगा त्याग
कसम मुझे है आपकी
एक दिन भी विलम्ब किया
श्री राम हे सुनो यदि
राम निशानी सिंहासन पे रख
शीश भी गया है झुक
महल में कैसे स्वयं रहे वो
काट रहा है ये भी दुःख
भरत ने फिर वनवास लिया
ह्रदय में उनके बात यही
भाई यदि है वनों में तो
दिल कैसे ये भोगे सुख ?

भैया,
अब मेरा वनवास तभी समाप्त होगा
जब आप माता सीता और भैया लक्ष्मण
के साथ वापिस आयेंगे

राम ही तन में, राम ही मन में
राम के बिन कहीं, चैन ना पाऊं
साँसें उस दिन ही रुक जाए
साँसें उस दिन ही रुक जाए
जिस दिन राम को मैं बिसराऊ
राम ही तन में, राम ही मन में
राम के बिन कहीं, चैन ना पाऊं

प्राण रहेंगे व्यथा में
यदि मिला राम का धाम नहीं
कहने को है दो अक्षर का
पर साँसें है नाम यही
दुनिया माँगे हीरे मोती
भव्यता और नाम सही
नीरस है सब मेरे लिये
यदि साथ मेरे है राम नहीं

बचा लो राम (Save Me Ram)

लिरिक्स (NARCI)

बचा लो राम (Save Me Ram) लिरिक्स (NARCI)

बचा लो राम (Save Me Ram) लिरिक्स (NARCI)

Song: Bacha Lo Ram (Save Me Ram)
Rap & Lyrics: Narci
Singer: Hari Om Sharan
Music & Arrangement: Narci
Mixing & Mastering: Xzeus
Artwork/Poster & Visuals: iKillGraphix
Label: Saregama

बचा लो राम (Save Me Ram)

लिरिक्स (NARCI)


तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को करे
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को करे
काहे को डरे ?
काहे को डरे ?
काहे को डरे?
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन

कुछ तो गलती मुझसे हो रही है मेरे स्वामी
दिल में भर कैसा, कैसी है ये परेशानियाँ ?
कहीं मैं दूर तुमसे जा तो नहीं चुका हूँ?
पहले की तरह क्यों न कृपा पा रहा है प्राणी ?
हृदय को खींचते हैं पाप सौ तरह के
करके वो पाप के लिए श्राप सौ तरह के
आगे मैं राम के झूठ नहीं बोलूंगा
खुद को न खो दूं कहीं, पूरी तरह डरा मैं
स्वयं को कहते वैसे तेरे ही दीवाने तो
रूप दिखते नहीं सच्चे भी जमाने को
रोते ये नैन देखे आस लिए तुझे ही
बच्चा न साहस पर आँखें भी मिलाने को
भारी बेचैनी प्रभु रात को ना जा रही
गाने तो लिखूँ पर बात वो नाआ रही
लोग भी शायद मुझे धीरे-धीरे भूल रहे
गानों से दूर कहीं चली गई सादगी
आरी सवालों की है रोज़ मुझे बांट रही
क्यों न उतारूं अब सियाही से जज्बात वही
दास के सर से क्या हाथ को हटा लिया
या राम तेरे दास में न पहले वाली बात रही ?
जानू ना कैसे मैंने तोड़ा जज्बातों को
पैरों पर पड़े ना समेटा उन कांचों को
पानो पे बोल यदि सके ना उतार तुम्हे
समझो मैं जीते जी ही खो चुका सांसों को
आज भी होंठ मेरे राम गीत गाते हैं
तुम्हें पुकार मैंने हौसले भी बांधे हैं
गाने तो लिखते हूँ कागजों पे पूरे पर
आखिरी में लगता है आधे ही रह जाते हैं
लगते हैं मृत क्यों बोल मेरे जीते जाते ?
ताने भी कला को लोग देते सीधा आके
आँखों में आस और मुँह में मेरे राम हैं
तेरे हवाले मेरी साँसें

हरि आप ही उठावे तेरा भार
उदासी मन काहे को करे
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को करे
काहे को डरे ?
काहे को डरे ?
काहे को डरे ?
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन

स्वयं से मैं द्वंद्व करूं नाम लेके आपका
दास ये नादान क्यों भूला तेरा रास्ता
आस्था बचा लो मेरी रो रहा हूं रोज
राम लो बचा, मैं हो रहा हूं लापता

स्वयं से मैं द्वंद्व करूं नाम लेके आपका
दास ये नादान क्यों भूला तेरा रास्ता
आस्था बचा लो मेरी रो रहा हूँ रोज़
हरि लो बचा लो, मैं हो रहा हूँ

डोरी सौंप के तो देख इक बार
उदासी मन काहे को करे
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार
उदासी मन काहे को करे

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