मर्यादा -1 हिंदी लिरिक्स
(नारसी)
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मर्यादा -1 (नारसी) |
Song: Maryada
Rap & Lyrics: Narci
Vocals: Dhirendra Krishna Shastri
Music & Arrangement: Narci
Mixing & Mastering: Xzeus
मर्यादा -1 हिंदी लिरिक्स (नारसी)
इंसान अपने नश्वर कार्यों में ही इतना मगन है
की स्वयं परमात्मा भी उसके सामने प्रकट हो
तो उन्हें भी पहचान की तसदी ना ले
सात वचन तो लेने हैं पर
सात कदम ना चलना है
रिश्तो में ना रंग वफा का
यहां किसी को भरना है
राम चाहिए सारों को
ना खुद बने पर जानकि
सीता चाहिए सारों को
ना राम किसी को बनना है
वादे करके तोड़ेंगे
क्या सीख कथा से हम लेंगे
जो प्रेम निभाना जानेगा
संगीन उन्हीं को कम लेंगे
मर्यादा पुरुषोत्तम की तो
बातें करते सालों से
हम मर्यादा ही लांघ चुके हैं
रिश्ते कैसे संभलेंगे ?
महत्वपूर्ण है चरित्र
आपका चरित्र इतना पवित्र हो
की कोई उंगली उठा करके ना देखें
वही व्यक्ति सकल जहां में पूज्य होता है
स्वयं को कैसे राम कहे जब
निष्ठा की ना शक्ति है
केवट भी हम क्या बने
ना दिल में वैसी भक्ति है
स्वयं को कैसे राम कहे जब
संयम ना है काम में
सीता के रहते हां आंखें
सूर्पनखा पे अटकी है
सूर्पनखा कसौटी है
जो परखे तेरा सच्चा नर
रावण भी कसौटी परखे
तेरी सच्ची नारी को
जो पार करे कसौटी को
बस वही सकेगा प्रेम निभा
जो हार गया वो पहन मुखोटे
ठगेगा दुनिया सारी को
किष्किंधा में वानर दल से
भेंट प्रभु की याद मुझे
गहने देखे सीता के तो
खुश हमें रघुनाथ दिखे
क्या यही हार वो भाई मेरे
जो सीता ने मेरी पहने था ?
क्षमा मांग के लखन ये बोले
"इसकी ना पहचान मुझे"
रोती आंखें प्रभु राम की
देख रही हैरान उसे
लखन बोले भैया को
"ना सच में भ्राता ध्यान मुझे"
स्पर्श किए हैं पैर सदा ही
भाभी के मैं भ्राताश्री
आंख उठा कर देखा ना
बस पायल की पहचान मुझे
मर्यादा की सोचा फिर से
बात कान में भर दूं मैं
रिश्ते मैले कर बैठे जो
बात पुनः वो कर दूं मैं
मर्यादा कुछ ऐसी लांघी
काले युग के लोगों ने
था जिसका दर्जा माता का
वो आज वासना वस्तु है
एक लहू का होके भी क्यों
इक दूजे को दबा रहे
रिश्तेदारी देखूं तो हां
सारे देते दगा रहे
राम की लीला देखेंगे हम
कहने को बस नौ दिन की
भरत के जैसा भाई मगर ना
स्वयं के अंदर जाग सके
किसी को किसी के होने या ना होने से
कुछ खास फर्क नहीं पड़ता
सब अपने-अपने मसले में है
राम कथा तो रोज पढ़ी
ना खुद में लाया त्रेता कल
पाप तमाचे के आगे हम
रख चुके हैं दोनों गाल
खुद के अंतर्मन से ही
जवाब हमें मिल जाएगा
हम कितने हैं मर्यादा में यदि
खुद से पूछे ये सवाल
पांचाली का चीर हरण था
बहा गया आंखों से नीर
धर्म देखिए रोया होगा
सभा में बैठे कैसे वीर
वसुदेव ने स्वयं थे भेजें
पांचाली को वस्त्र वहां
आज की नारी रील के खातिर
स्वयं उतरे पहने चीर
मर्यादा क्या लांघी
ना रिश्तों का सम्मान हुआ
छल बना है साथी
ईमान यहां मेहमान हुआ
दिन गुजरा प्रेमी संग
रात साथ है गैरों का
बिस्तर पर इंसान बदल के
सोना भी आसान हुआ
पारंपरिक पोशाकों के ये
नाम पे करते अंग प्रदर्शन
बेहुदगी पंडालों में ये
करेंगे कैसे मां के दर्शन
व्यस्त पड़े दुर्गा पूजा की
सेवा में हम पूरा दिन
ये व्यस्त पड़े कि इंस्टा की फोटो पे
डाले क्या ही 'कैप्शन'
इंस्टा का कसूर नहीं
ये सभ्यता से दूर गए
पल्लू से छाती ढकने की
मर्यादा भी भूल गए
बेहुदगी स्वीकार करी
और इंस्टा पे भी रिच बड़ी
फांसी में पर मर्यादा और शर्म
लटक के झूल गये
मैं पाबंदी ना लगा रहा
ना सोच लघु मेरे अंदर है
मैं सर्वाधुनिक साथ हृदय में
राम भजन समंदर है
पहनावे के नहीं विरुद्ध
इंस्टा का प्रयोग करो
पर सुंदरता और वस्त्र हीनता
दोनों में ही अंतर है
मुझे यदि ना सुनना है तो
राम सिया का नाम सुनो
चीज क्यों ना बदलेगी
एक बार हरि का धाम चुनो
गीतों को गीतों के जैसे
सुनते हैं बस लोग यहां
गीत भूल ही जाने हैं तो
इससे बेहतर ना सुनो
मैं भी तेरे जैसे ही हूँ
मेरा भी है आम कक्ष
पन्नू और संगीत के जरिए
करता मैं तो काम व्यक्त
फैन कहो ना खुद को तुम
परिवार हो सारे
कुछ कहना ही है तो
कह देना कलाकार या राम भक्त
परमात्मा ! सामने और प्रकट?
हां जब भी जीव को
इस पृथ्वी पर मनुष्य देह मिलता है
तब परमात्मा किसी ने किसी रूप में
पृथ्वी पर जरुर प्रकट होते हैं
ना साथ तेरे मैं जाऊंगा
ना गीत साथ में जाएंगे
एक दिन तुम मुझे भी सब
चिता पर लेट पाएंगे
मर्यादा और कर्मों की
मैं बातें करता ऐसे ना
जब होगा मृत्यु सैया पे
तो कर्म याद ही आएंगे
ना साथ तेरे में जाऊंगा
ना गीत साथ में जाएंगे
एक दिन तुम मुझे भी सब
चिता पर लेट पाएंगे
कमेंट करो ना लाइक करो
ना गीत लगाओ स्टोरी पे
पर गीत बस जो दिल पे ये
तो शब्द सफल हो जाएंगे
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