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मेरे सरकार हिंदी लिरिक्स

मेरे सरकार हिंदी लिरिक्स
मेरे सरकार हिंदी लिरिक्स

Song - MERE SARKAAR
Music - Raaj Aashoo
Lyrics- Seepi Jha
Singer- Jaya Kishori, Bhupinder Babbal
Music Label - T-Series

मेरे सरकार हिंदी लिरिक्स

दाता दरबार तेरा
दरबार तेरा
संसार मेरा

तेरे चरणों की धूल हूं मैं यार
कृपा कर मेरे सरकार
कहि अन-कहि सून दरकार
कृपा कर मेरे सरकार
तेरे चरणों की धूल हूं मैं यार
कृपा कर मेरे सरकार
तेरे चरणों की धूल हूं मैं यार
कृपा कर मेरे सरकार

आंखें तेरे दरस बिन अंधियारी हो रही हैं
इनपे तरस तो खाओ, मतवारी हो रही है
इक नाम ही सहारा, जप नाम दिन गुज़ारूँ
मेरी नज़र ना लग जाए, काजल से नज़र उतारूँ

मेरे अंगना की तू ही है बहार
कृपा कर मेरे सरकार
मेरे अंगना की तू ही है बहार
कृपा कर मेरे सरकार
तेरे चरणों की धूल हूं मैं यार
कृपा कर मेरे सरकार

तुझसे ही दिन रात ये चलते, तुझसे चलते काम
कृपा का सागर तू है दाता, लूं मैं तेरा नाम
तुझसे ही दिन रात ये चलते, तुझसे चलते काम
कृपा का सागर तू है दाता, लूं मैं तेरा नाम

पथरा रहा है हृदय मेरा, तुझे खुद से दूर पाके
सुख स्वर्ग का मैं पांव, तुझको गले लगाके
तेरा हो जो इशारा, सांसें मैं वार जाऊं
तू ही तो धन है असली, सब नकली हार जाऊं
तेरी सेवा ही मेरा करोबार
कृपा कर मेरे सरकार
तेरी सेवा ही मेरा करोबार
कृपा कर मेरे सरकार
तेरे चरणों की धूल हूं मैं यार
कृपा कर मेरे सरकार
कहि अन-कहि सून दरकार
कृपा कर मेरे सरकार
तुझसे ही दिन रात ये चलते, तुझसे चलते काम
दाता...
कृपा का सागर तू है दाता, लूं मैं तेरा नाम
दरबार तेरा...
तुझसे ही दिन रात ये चलते, तुझसे चलते काम
दरबार तेरा...
कृपा का सागर तू है दाता, लूं मैं तेरा नाम...
संसार मेरा...

हिरणी हरी सू अरज करे

लिरिक्स (छोटू सिंह रावण)


हिरणी हरी सू अरज करे लिरिक्स (छोटू सिंह रावण)
हिरणी हरी सू अरज करे लिरिक्स (छोटू सिंह रावण)

Singer : Chotu Singh Rawna
Lyrics& Sant kabir das ji maharj
Composition : Chotu singh rawna
Music & Mix Master : Ajay Rajasthani

हिरणी हरी सू अरज करे 

लिरिक्स (छोटू सिंह रावण)

पिव बचाबा ने इक हिरणी,
हरी सू करे पुकार ।
बिन पिवजी के प्राण तजू,
सुण म्हारा किरतार ॥

ओ म्हारे पियाजी रा प्राण बचाय,
ओ म्हारे पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।
म्हारे पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।
ओ म्हारी समदर में डूबी जहाज,
हो...समदर में डूबी जहाज,
आ हिरणी हरी सू अरज करे ।
म्हारे पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।

बावरिये ने बावर बांधी,
चौसठ बंध लगाय ।
हरी बावरिये ने बावर बांधी,
चौसठ बंध लगाय ।
हिरण्या कूद जंगल में नाखी,
हिरण्या कूद जंगल में नाखी,
मिरगा रो फँस गयो पाँव ।।
आ हिरणी हरी ने अरज करे ।
म्हारे पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।

कहे मिरगलो सुण ये मिरगली,
तू गाफल मत होय ।
कहे मिरगलो सुण ये मिरगली,
तू धीरज मत खोय ।
तू तो कूद जंगल में रळ जा,
तू तो कूद जंगल में रळ जा,
हरी करे सो होय ।।
हिरणी हरी सूं अरज करे ।
म्हारे पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।

तीन पाँव पर खड़ी मिरगली,
हरी सूं हेत लगाय ।
तीन पाँव पर खड़ी मिरगली,
हरी सूं हेत लगाय ।
हरी रो सिंहासन डोल्यो,
हरी रो सिंहासन डोल्यो,
बावरिया ने विष खाय ।।
आ हिरणी हरी ने अरज करे ।
म्हारे पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।

टूटी डोर बंध हुआ ढीला,
मिरगा रो खुल गयो पाँव ।
अरी टूटी डोर बंध हुआ ढीला,
मिरगा रो खुल गयो पाँव ।
कहे कबीर सुनो भाई साधू,
कहे कबीर सुनो भाई साधू,
जोड़ी मिलाई भगवान ।
आ हिरणी हरी सूं अरज करे ।
म्हारा पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।
म्हारा पियाजी रा प्राण बचाय,
हिरणी हरी ने अरज करे ।
आ हिरणी हरी ने अरज करे ।
आ हिरणी हरी ने अरज करे ।

चली जा रही है उमर धीरे धीरे

लिरिक्स (खुशबु तिवाड़ी)

चली जा रही है उमर धीरे धीरे लिरिक्स (खुशबु तिवाड़ी)
चली जा रही है उमर धीरे धीरे लिरिक्स (खुशबु तिवाड़ी)


Song : Chali Ja Rahi Hai Umar Dheere Dheere
Singer : Khushbu Tiwari KT
Music : Sonu Sargam
Lyrics : Yadav Raj

चली जा रही है उमर धीरे धीरे

लिरिक्स (खुशबु तिवाड़ी)

चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
पल पल यों आठों पहर धीरे धीरे,
पल पल यों आठों पहर धीरे धीरे,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे,
मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे ॥

बचपन भी जाए जवानी भी जाए,
बचपन भी जाए जवानी भी जाए,
बुढापा का होगा असर धीरे धीरे,
मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे
चली जा रही है उमर धीरे धीरे ॥

तेरे हाथ पावों में बल ना रहेगा,
तेरे हाथ पावों में बल ना रहेगा,
झुकेगी तुम्हारी कमर धीरे धीरे,
मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे
चली जा रही है उमर धीरे धीरे ॥

शिथल अंग होंगे इक दिन तुम्हारे,
शिथल अंग होंगे इक दिन तुम्हारे,
फिर मंद होगी नज़र धीरे धीरे,
मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे
चली जा रही है उमर धीरे धीरे ॥

बुराई से मन को अपने हटा ले,
बुराई से मन को अपने हटा ले,
सुधर जायेगा तेरा जीवन धीरे धीरे,
मिल जायेगा वो सजन धीरे धीरे
चली जा रही है उमर धीरे धीरे ॥
चली जा रही है उमर धीरे धीरे ॥
हाँ उमर धीरे धीरे
उमर धीरे धीरे.....

मन का अर्जुन लिरिक्स

(वायू)

मन का अर्जुन लिरिक्स (वायू)
मन का अर्जुन लिरिक्स (वायू)

Song :-Man Ka Arjun
Artist :- Vayu
Song :- Man Ka Arjun
Prod/Mix/Master :- Vayuu

मन का अर्जुन लिरिक्स (वायू)

अंग अंग काँप रहे हैं
मेरे हाथों में शस्त्र उठाने की शक्ति नहीं
मेरा गाण्डीव मेरे हाथों से
फिसला जा रहा है माधव
मुझे केवल भयानक विनाश
दिखाई दे रहा है
केवल भयानक विनाश....

युद्ध को देदो हे माधव विश्राम
अपनों के प्राण ले काँपेंगे हाथ
त्यागु गांडीव मैं ले लू वनवास
भयवाह खेल का क्या ही परिणाम ??

सुन्न हैं ह्रदय से भ्रमित हूँ आज
अपने ही वंश के हरु क्यू प्राण ??
जो नगर बसे अपने कुल के शवो पे
चाहिए ना हमें उस भूमि का ताज

उधर बाण लगा पितामाह को
और पीड़ा की चीख यहाँ मेरे ही होगी
उधर लहु बहा तात श्री का
संग पराजय भी मेरी बहेगी
गुरु द्रोण जिन्होंने हर ज्ञान दिया,
अपने शिष्यों में सर्वोच्चतम स्थान दिया
जिनसे सिखा प्रत्यंचा चढ़ाना,
तलवार कोई कैसे उन आगे उठेगी

कैसे बनने दू हे माधव रण भूमि को
अपने ही कुल का शमशान में
जिन हाथों ने छुए हैं चरण
वो हाथ क्यों चले हैं शीश को काटने
अपने ही भाइयों के लहू का प्यासा
कुलनासक ना बन सकता मैं
दृश्य भयवाह की कल्पना मात्र से
लगी है आत्मा काँपने

हो रहा लाखो चिता का आभास
सुनु विधवाओ का मरण विलाप
दिख रहा बुझा घरो का चिराग
कानों में आ रही माँओ की पुकार
लहू ही लहू है भूमि गुलाल
कटे हैं शीश जो लगी क़तार
भाई ही भाई को रहा उजाड़
युद्ध ये कर सकता माधव मैं ना

माधव मैं ना,
कर सकता पापी ये युद्ध
भले दुर्योधन ने किया
सद्देव ही साथ हमारे कपट
दंड बस उन्हें मिले जिसने
किया पांचाली का चीर हरण
लहू की वर्षा में क्यू ही
भीगेगा निष्पाप ये आर्यावर्त

बहा पाऊँ ना अपनो का रक्त,
कुल ढहा तो जाउंगा नरक
कैसे मैं अपने आचार्यों,
भाईयो, मित्रो को देखूंगा मृत
थाम दो युद्ध ये मांग के भिक्षा
जी लूंगा डरा है मन
त्यागु मैं 4 गाँव और
दे दूंगा कौरवो को इंद्रप्रस्थ

हे केशव मैं क्या ही करू,
मुझे कुछ तो बताओ
मोह छलावे से मुझे बचाओ
मरीचिका में ये धसे हैं नेत्र
गिरा जा रहा हूँ उठ भी ना पाऊ
गुरु मेरे मेरी बुद्धि हैं भ्रम में,
मार्गदर्शी मुझे मार्ग दिखाओ
शरण में आया तुम्हारी हे माधव
क्या सही गलत मेरा भेद मिटाओ

अपने ही कुल के मरण से
कैसे हो धर्म स्थापित,
शीत इन स्वरो में काफ़ी
अपने ही हाथों से अपने प्राण हर,
चिता में अग्नि ना दूं मैं कदा भी
राह दो स्वामी, क्या अनुचित
और उचित पड़ा हैं भ्रम में राही
ज्ञान की ज्योति जलाओ हे,
माधव, हे सारथी,
भगवन मेरे चक्रधारी

बुद्धिमान व्यक्तियों जैसे तर्क देते हो 
किन्तु वास्तव में 
मुर्खता पूर्ण बातें करते हो पार्थ 
ये नपुंसकता तुम्हें शोभा नहीं देती 
युद्ध करना तुम्हारा कर्तव्य है पार्थ 
शस्त्र उठाओ 
इस युद्ध में विध्वंश होगा 
अवश्य होगा 
किन्तु ये भी जान लो 
की नई परम्पराओं का निर्माण भी होगा ।

वीर अभिमन्यु हिंदी 

लिरिक्स (सिद्धार्थ शर्मा)

वीर अभिमन्यु हिंदी लिरिक्स (सिद्धार्थ शर्मा)
वीर अभिमन्यु हिंदी लिरिक्स (सिद्धार्थ शर्मा)

Song : Veer Abhimanu
Rap : Siddharth
Lyrics : Susheel Pandey
Music : CHANKKYA

वीर अभिमन्यु हिंदी लिरिक्स

(सिद्धार्थ शर्मा)

जब कुरूक्षेत्र की समर भूमि में
सर शैया पर भीष्म हुए,
तब कुरु कलंक के नैनो में
क्रोध-अग्नि लगी और ग्रीष्म हुए।
गुरुदेव बनेंगे सेनापति
यह चल चली थी शकुनि ने,
जिसमें फंसकर सब झुझ रहे,
वो जाल बुनी थी शकुनी ने।

इस बार चली थी चाल अजब,
जिसमें ना कोई संधि हो,
गुरुवर द्वारे वो ज्येष्ठ पांडु
सुत समर भूमि में बंदी हो।
फिर पांडव सेना में गुरुवर ने
ऐसा तांडव नृत्य किया,
सब समर मूंड से पाट दिया,
कुछ ऐसा चित्र-विचित्र किया।

निज सेना की ये दशा देख
अर्जुन को क्रोध अपार हुआ,
बज उठी कृष्ण की पांचजन्य,
फिर गांडीव का टैंकार हुआ।
कौरव सेना के होश उड़े,
जब गुरुवर का रथ छूर हुआ,
जो सोचा था, वो विफ़ल हुआ,
सब सपना चकना-चूर हुआ।

फिर कहा द्रोण ने दुर्योधन,
"मैं उस पर ना पा सकता,"
“अर्जुन के रहते धर्मराज को
बंदी नहीं बना सकता।”
फिर कहा त्रिगानों ने मिलकर,
“हम प्राण पे प्राण लड़ाएंगे,
हम अर्जुन को ललकारेंगे
और दूर तलाक ले जायेंगे।”

हम जान रहे हैं, अर्जुन से
पा सकता कोई पार नहीं,
पर इससे बढ़कर मित्र तुम्हें
दे सकता हूं उपहार नहीं।
फिर क्या था, ऐसी नीति बानी,
जिसको सबने मंजूर किया,
उसने अर्जुन को ललकारा
और समर भूमि से दूर किया।

अर्जुन के जाते गुरुवर ने
फिर कुछ नवीन संग्रह की
जिसका भेदन हो सके नहीं
उस चक्रव्यूह की रचना की
पांडव सेना भयभीत हुई
ये देख शत्रुदल सुखी हुए
जो सदा शान्त-चित्त रहे थे
वही धर्मराज भी दुखी हुए

निज सान्या जैसे दुखी देख
फिर शेर-बबर को जगना था,
जो धनी धनुष के बनते थे,
उनको भी नाक रगड़ना था।
है उमर 18 बरस मगर,
ये बड़ा धनुष का धन्नु है,
सबने देखा, कोई और नहीं,
वही अर्जुन सुत अभिमन्यु है।

महारथी वो जन्म से
ऋषियों का वर पाया था
सभी योद्धाओ से परे
वीर अभिमनु कहाया था

महारथी वो जन्म से
ऋषियों का वर पाया था
सभी योद्धाओ से परे
वीर अभिमनु कहाया था

"मैं इसका भेदन कर दूंगा,
ये भेद गर्भ में सुना हुआ,"
“दादाजी चिंता दूर करो,”
ये सुन सहस सौ गुण हुआ।
फिर अभिमन्यु के पीछे ही
कुछ तेज चले, कुछ धीमे चले,
कुछ पैदल, घोड़े, रथ सवार
गदा गदाधर भीम चले।

अभिमन्यु को ना रोक सका,
वे द्वार तीसरे पार हुए,
पर आज जयद्रथ के आगे
चारों भाई लाचार हुए।
अभिमन्यु ने मुड़कर देखा,
कोई ना पीछे अपना था,
पर विचलित तनिक ना हुआ वीर ,
ऐसा ही उसका सपना था।

कोई एक भिड़ा, कोई दो-दो संग,
कोई ले झुंडों का झुंड भिड़ा,
लाशों से पटने लगी धारा,
जब मुंड-मुंड पे मुंड गिरा।
दुर्योधन, दुशासन, विकर्ण,
कृतवर्मा अश्वत्थामा को,
गुरु द्रोण, कर्ण को हरा दिया,
और मारा शकुनि मामा को।

वो कर्ण भिड़ा जो दुर्योधन के
विजय की आशा थी,
वो कर्ण भिड़ा जो दुर्योधन के
अंतर्मन की भाषा थी।
वो करना भिड़ा जो एक साथ सौ
बाण चलने वाला था,
वो कर्ण भिड़ा जो दुर्योधन को
विजय दिलाने वाला था।

सबने देखा, वो अंगराज
रथ सहित धरा पर पड़ा मिला,
कुछ चेत हुआ तो भाग गया,
वो दूर सभी को खड़ा मिला।
फिर दुर्योधन हो गया कुपित,
ले सबका नाम पुकारा है,
“सब इस साथ मिलकर मारो,”
ऐसा आदेश हमारा है।

महारथी वो जन्म से
ऋषियों का वर पाया था
सभी योद्धाओ से परे
वीर अभिमनु कहाया था

महारथी वो जन्म से
ऋषियों का वर पाया था
सभी योद्धाओ से परे
वीर अभिमनु कहाया था

फिर एक साथ भीड़ गए साथ,
सातों ने ऐसा काम किया,
रथ तोड़, सारथी को मारा,
घोड़ों का काम तमाम किया।
तलवार-तीर जब टूट गये,
तो रथ के चक्के उठा लिये,
उस रथ के टूटे चक्कों से
कितनों के छक्के छुड़ा दिये।

ये देख अधम दुशासन ने
फिर सर पे गदा प्रहार किया,
गिर गया धरा पे वीर तभी,
पीछे से उसने वार किया।
फिर बारी-बारी से सबने
उसके सीने पे वार किया,
सब नियम युद्ध को भूल गए
और ऐसा अत्याचार किया।

सब मायापति की लीला है,
मैं कृष्ण लिखूं, घनश्याम लिखूं,
कितनों को धूल चटाया है,
कितनों कुरुवों का नाम लिखूं।
शब्दों में सहज "सुशीलापन",
अब कविता को विश्राम लिखूँ,
मैं उस बालक अभिमन्यु को,
अब अंतिम बार प्रणाम लिखूं।

हिंदू हैं हम-2 लिरिक्स

(पंडित)

हिंदू हैं हम 2 लिरिक्स (पंडित)
हिंदू हैं हम 2 लिरिक्स (पंडित)

Song -- Hindu Hain Hum 2
Singer -- Hashtag Pandit
Lyrics — Hashtag Pandit / Vidhayak
Female Lead -- Tanu Rawat
Composition — Hashtag pandit
Music -- Geet Empire

हिंदू हैं हम 2 लिरिक्स (पंडित)

श्रीराम चंद्र जी के भक्त आ गये
गीत में लेकर जगत आ गये
सत्य सनातन भगवाधारी
वक्त बदलने योद्धा आ गये
सारे हिंदू शोर मचायेंगे
मेरे साथ सब मिल करके गायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
भगवाधारी का परचम लहरायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदुराष्ट्र बनायेंगे
हनुमत रक्षा करो प्राण की
जय श्री राम जय मात जानकी
केशरिया से हिन्द सजाना है
बात उठी अब स्वाभिमान की
सारे हिंदू शोर मचायेंगे
मेरे साथ सब मिल करके गायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
भगवाधारी का परचम लहरायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदुराष्ट्र बनायेंगे

हिंदू धर्म से है मेरा कहना
हिंदू राष्ट्र को बनाके रहना
तांडव होगा धरती पे अब तो
हर हर महादेव सबको है कहना
रक्त का अब हम चंदन लगायेंगे
मेरे साथ सब मिल करके गायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
भगवाधारी का परचम लहरायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदुराष्ट्र बनायेंगे

हिंदू भाई मिलकर रहना
जात पात में ना तुम बटना
अखंड भारत सपना अपना
हनुमान जी को जपते रहना
सारे हिंदू शोर मचायेंगे
मेरे साथ सब मिल करके गायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे
भगवाधारी का परचम लहरायेंगे
हिंदू हैं हम, हिंदुराष्ट्र बनायेंगे

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