मैं वासुदेव कृष्ण
हिंदी रैप लिरिक्स (वायू)
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मैं वासुदेव कृष्ण हिंदी रैप लिरिक्स (वायू) |
Artist :- Vayuu
Song :- Main Vasudev Krishna
Prod/Mix/Master :- Vayuu
मैं वासुदेव कृष्ण
हिंदी रैप लिरिक्स (वायू)
अधर्म का उठता शीश कहीं,
तो सुदर्शन रक्त का प्यासा हो
कलियुग में ये वासुदेव
ले जनम निरंतर आता जो
अवतरित मैं हर कहीं, ना चक्षु,
हर किसी के पहचानें नहीं
हर युग हवनकुंड में
रवों को जो चढ़वाए, कृष्ण मैं वो
देखे अर्जुन रूप कांपा था,
द्रौपदी का वस्त्र मैं बना
बांधे जब था दुर्योधन मुझे,
मुझमें देखी मरती सृष्टियाँ
उखाड़ा कंस, बढ़ा अंधकार,
काट डाला चक्र से शिशुपाल
मुख पे जब हो काल गर्जना,
तो नस्लें रावणों की दूँ मिटा
काल, की धार,
कई युगों से आया कली को चीर मैं
सत्य और धर्म को जो बेचे,
लूं फिर प्राण खींच मैं
अन्याय के विरुद्ध
जो गरजे, उसका शस्त्र बनूं मैं
धर्म की रक्षा जो करे,
वो मानव यही कृष्ण है
द्वारिका में जो रह गया,
मैं वो कथा नहीं हूँ
कलियुग को दिया जनम,
मैंने हर युग में मैं ही हूँ
आज भी करता मैं महाभारत,
आज भी चुनता मैं बस पांडव
ये सब लय और लीला मेरी,
मेरा है मंच जगत नाटक
रास नहीं, मैं रण हूँ वो-
मेरी सूर्य नेत्र हैं अग्नि श्वास
बढ़ेगा जितना अधर्म,
तो मेरा होगा उठा ही रूप विराट
चरण जहाँ पड़े समय रुके,
और भुजाएँ खुलें तो टूटे दिशा
मृत्यु खोलेगी लाखों द्वार
जब आऊँगा ले कल्कि अवतार
मैं वासुदेव कृष्ण-
जन्म मृत्यु रंगमंच मेरे
मैं वासुदेव कृष्ण-
संहार जन्मे मेरे पैरों तले
मैं वासुदेव कृष्ण-
इस मौन समय की गूंज हूँ मैं
मैं वासुदेव कृष्ण-
मैं जगत दाता, जगदीश हरे
मैं वासुदेव कृष्ण-
जन्म मृत्यु रंगमंच मेरे
मैं वासुदेव कृष्ण-
संहार जन्मे मेरे पैरों तले
मैं वासुदेव कृष्ण-
इस मौन समय की गूंज हूँ मैं
मैं वासुदेव कृष्ण-
मैं वासुदेव कृष्ण...
हर शिशु की पहली सांस में,
मैं ही जीवन का गान हूँ
मानव की अंतिम खामोशी,
अंतिम मैं ही हर ज्ञान हूँ
ना भय मुझको कोई छू पाए,
ग्रहों का शंखनाद हूँ
त्रिकाल पार हूँ, बैठा
कलियुग में भी मैं त्रेता हूँ
देह में ना बंध सका मैं,
ना वेद मुझको नाप पाए
सीना चीरा मानवों का,
नर पिशाच जब बन आए
रण का रूप लेता खूब,
मैं हूँ प्रलय की पहली दस्तक
सीमा पार अपराध हर
शिशुपाल के लिए मैं सुदर्शन
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे"
आरती, वेद, न स्तुति, न काव्य,
जहाँ धर्म है वहाँ वासुदेव
मुझमें ही मति और मंत्र उपजते है
ओम् का ताल वासुदेव
जगत को बिंधे अकेले वो सूत्र मैं,
ना केवल है कथा वासुदेव
इंद्रियाँ थके, चित्त मौन हो जाए,
जो शेष बचे, मैं वो वासुदेव
मैं वासुदेव कृष्ण-
जन्म मृत्यु रंगमंच मेरे
मैं वासुदेव कृष्ण-
संहार जन्मे मेरे पैरों तले
मैं वासुदेव कृष्ण-
इस मौन समय की गूंज हूँ मैं
मैं वासुदेव कृष्ण-
मैं जगत दाता, जगदीश हरे
मैं वासुदेव कृष्ण-
जन्म मृत्यु रंगमंच मेरे
मैं वासुदेव कृष्ण-
संहार जन्मे मेरे पैरों तले
मैं वासुदेव कृष्ण-
इस मौन समय की गूंज हूँ मैं
मैं वासुदेव कृष्ण-
मैं वासुदेव कृष्ण
वासुदेव कृष्ण, वासुदेव कृष्ण
वासुदेव वासुदेव कृष्ण,
वासुदेव वासुदेव कृष्ण,
वासुदेव कृष्ण....
कृष्ण कृष्ण वासुदेव,
कृष्ण कृष्ण वासुदेव कृष्ण.....
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