श्रापित कर्ण लिरिक्स
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श्रापित कर्ण लिरिक्स |
Song -Shraapit - Karn
Music - LYM Present
Mix & Arrangement - Lym Present
Dialogue - Suryaputra Karn
Lyrics - Inspired From Kavi
Shree Kumar Shambhav Ji
श्रापित कर्ण लिरिक्स
सारा जीवन श्रापित-श्रापित,
हर रिश्ता बेनाम कहो,
मुझको ही छलने के खातिर
मुरली वाले श्याम कहो,
तो किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती,
किसे लिखूं मैं प्रेम की पाती,
कैसे-कैसे इंसान हुए,
हैं! रणभूमि में छल करते हो,
तुम कैसे भगवान हुए !
कि मन कहता है मन करता है,
कुछ तो माँ के नाम लिखूँ,
एक मेरी जननी को लिख दूं,
एक धरती के नाम लिखूं,
प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा
धरती संताप नहीं देती,
और धरती मेरी माँ होती तो,
मुझको श्राप नहीं देती।
तो जननी माँ को वचन दिया है,
जननी माँ को वचन दिया है,
पांडवों का काल नहीं हूं मैं,
अरे जो बेटा गंगा में छोड़े,
उस कुंती का लाल नहीं हूं मैं।
तो क्या लिखना इन्हें प्रेम की पाती,
क्या लिखना इन्हें प्रेम की पाती,
जो मेरी ना पहचान हुए,
अरे रणभूमि में छल करते हो,
तुम कैसे भगवान हुए ?
सारा जीवन श्रापित-श्रापित,
हर रिश्ता बेनाम कहो,
मुझको ही छलने के खातिर
मुरली वाले श्याम कहो,
कैसे-कैसे इंसान हुए,
अरे रणभूमि में छल करते हो,
तुम कैसे भगवान हुए ?
कि सारे जग का तम हरते,
बेटे का तम ना हर पाए,
इंद्र ने विषम से कपट किये,
बस तुम ही सम ना कर पाये।
अर्जुन की सौगंध की खातिर,
बादल ओट छुपे थे तुम,
और श्री कृष्ण के एक इशारे,
कुछ पल अधिक रुके थे तुम।
तो पार्थ पराजीत हुआ जो मुझसे,
तुम को रास नहीं आया,
देख के मेरे रण-कौशल को,
कोई भी पास नहीं आया।
तो पार्थ पराजीत हुआ जो मुझसे,
तुम को रास नहीं आया,
देख के मेरे रण-कौशल को,
कोई भी पास नहीं आया।
दो पल जो तुम रुक जाते तो,
दो पल जो तुम रुक जाते तो,
अपना शौर्य दिखा देता,
मुरली वाले के सम्मुख,
अर्जुन का शीश गिरा देता।
बेटे का जीवन हरते हो,
बेटे का जीवन हरते हो,
तुम कैसे दिनमान हुए!
रणभूमि में छल करते हो,
तुम कैसे भगवान हुए
सारा जीवन श्रापित-श्रापित,
हर रिश्ता बेनाम कहो,
मुझको ही छलने के खातिर
मुरली वाले श्याम कहो,
कैसे-कैसे इंसान हुए,
अरे रणभूमि में छल करते हो,
तुम कैसे भगवान हुए ?
पक्षपात का चक्रव्यूह क्यों द्रोण
नहीं तुम से टूटा?
और सर्वश्रेष्ठ अर्जुन ही हो,
बस मोह नहीं तुम से छूटा।
एकलव्य का लिया अंगूठा,
मुझको सूत बताते हो,
अरे खुद दौने में जन्म लिया
और मुझको जात दिखाते हो।
अब धरती के विश्व विजेता
परशुराम की बात सुनो,
अरे एक झूठ पर सब कुछ छीना
नियति का अघात सुनो।
तो देकर भी जो ज्ञान भुलाया,
कैसा शिष्टाचार किया।
अरे दानवीर इस सूर्यपुत्र को
तुमने जिंदा मार दिया।
की दानवीर इस सूर्यपुत्र को
तुमने जिंदा मार दिया।
फिर भी तुमको ही पूजा है
तुम ही बस सम्मान हुए,
क्या रणभूमि में छल करते हो
तुम कैसे भगवान हुए ?
सारा जीवन श्रापित-श्रापित,
हर रिश्ता बेनाम कहो,
मुझको ही छलने के खातिर
मुरली वाले श्याम कहो,
कैसे-कैसे इंसान हुए,
अरे रणभूमि में छल करते हो,
तुम कैसे भगवान हुए ?
सारा जीवन श्रापित-श्रापित,
सारा जीवन श्रापित-श्रापित,
श्रापित-श्रापित.....
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