रावण बनाम राम लिरिक्स

रावण बनाम राम लिरिक्स

(LUCKE)

रावण बनाम राम लिरिक्स	(LUCKE)
रावण बनाम राम लिरिक्स(LUCKE)

Lyrics and Rap by LUCKE
Music & Mixing by Cherrysingh

रावण बनाम राम लिरिक्स

(LUCKE)


लंका में लंकापति की इच्छा
यदि कोई स्वेच्छा से पूरी नहीं करता
तो लंकापति स्वयं अपने बल से
अपनी इच्छा पूरी करना जानता है
हा... हा.. हा.. हा.. हा.....

रावण हू मैं रावण
मुझसे बलशाली ना कोई यहाँ
रणभूमि में लड़ सके जो
वीर ऐसा ना कोई हुआ

बड़े बड़े शूरवीर भी
सामने ना आते हैं
राहु केतु और शनि भी
नाम से घबराते है

कुम्भकर्ण के खौफ से
ये पास कभी ना आते हैं
हुंकार से उसकी दूर से ही
सब काँपके मर जाते हैं

मेघनाथ सा शक्तिशाली
कोई नहीं इस लोक में
शक्तियों के चर्चे तो
होते हैं परलोक में

इन्द्र जैसे देवता भी
मेघनाथ से हारे है
सामने उसकी ताकत के ये
सारे ही बेचारे हैं

मार सके जो कोई मुझे
वीर यहाँ न धरती पे
मैं लंका का लंकेश हूँ
प्रकोप से दुनिया डरती है

वनवासी वो राम मेरा यहाँ
कुछ भी ना कर सकता है
शांत सा स्वभाव वाला
प्रचंड सेना से डरता है

सेना का ये रूप विशाल
सेना की गर्जन भारी है और
सारे युद्ध जीते मैंने
युद्ध कभी ना हारे है

सोने की लंका वाला हू जो
चाहे वो कर सकता हूँ
मैं रावण हूँ मैं रावण
ना सामने किसी के झुकता हूँ

ये पृथ्वी लोक मेरा है
यहाँ एकमात्र राजा मैं
मैं काल का भी काल हूँ
ना डरता किसी की माया से

वनवासी की पत्नी का भी
हरण किया मैंने छल से
कोई क्या ही बिगड़े मेरा
सब डरते मेरे बल से

असत्य को चरम सीमा पे
पहुचना मेरा काम है
मैं लंकापति लंकेश हूँ
और रावण मेरा नाम है

तुम्हारा अंत आ चूका है
रावण इसी अवस्था का नाम दुर्दशा है

अब रूप मेरा प्रचंड देख
तरकश में मेरे बाण देख
नाभी में तेरी जान देख
मेरे हाथ में तेरे प्राण देख

अब जलती हुई तेरी लंका देख
तू तेरा सर्वनाश देख
बिखरा तेरा परिवार देख
रणभूमि को तू लाल देख

कुम्भकर्ण का काल देख
मृत्यु तेरी अकाल देख
तू मेघनाथ का हाल देख
असत्य की तू हार देख

तेरी प्रजा की गुहार देख
शया पर लेटी जान देख
तू देख बस क्या होता है
मेरी माया का जाल देख

मैं वनवासी हूँ कोई ना
लंका सोने की राख देख
आँखों में मेरी धरती है
मेरे पैर तले पाताल देख

ग़लती करदी रावण तूने
वनवासी मुझे मान के
मैंने ही भेजा धरती पर
तेरी देह में प्राण डाल के

शांत मेरा स्वभाव तो क्या
मैं मर्यादा में रहता हूँ
तुझे लग रहा मैं भोला सा
मैं हर बात ही सहता हूँ

प्राणों से भी प्रिय मेरी
सीते का तूने हरण किया
जीवन के सारे कर्मो में
ये कर्म तो तूने गलत किया

अब देख तेरी क्या दुर्दशा
तू तेरा सब कुछ खो देगा
भीख माँग के प्राणों की
तू फूट फूट कर रोएगा

तू याद करेगा काश
मुझसे होती ना ये गलती
अहंकार में डूबा तू
जल्दी मांगेगा माफ़ी

पल मैं टूटे अहंकार तेरा
सर्वनाश तो निश्चित है
ना माफ़ी के भी लायक तू
ना लायक है तू प्रायश्चित के

नारी के अपमान से बड़ा
ना पाप यहाँ इस धरती पे
मैं माफ करूँ तो कैसे करूँ
तूने कर दी बड़ी ही गलती रे

हे राम... हे राम... हे राम....
हे राम... हे राम... हे राम.....

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