Teja Ji Chalisa Lyrics / वीर तेजा जी चालीसा

वीर तेजा जी चालीसा

वीर तेजा जी चालीसा
वीर तेजा जी चालीसा

वीर तेजा जी चालीसा 


श्री तेजा वीर तेज प्रकाशा ।
सत्यवीर क्षत्रिय का जाया॥

ले अवतार खरनाल में आया ।
शिव शंकर के तुम अवतारी ॥


तीन लोक में महिमा भारी ।
रामकंवरी के लाल दुलारे ॥

ताहर जी के पुत्र प्यारे ।
जात कुल का मान बढाया ॥


ले अवतार जगत में आया ।
बासकराज वचन के दासा ॥

तेजा तेज है रवि समाना ।
तुमको ध्यावे सारा ज़माना ॥


तेजा तुम सबके रखवारे ।
जात पांत नहीं तेरे द्वारे ॥

धोली ध्वजा आकाश लहरावे ।
चारों युग प्रकाश फैलावे ॥


सर पे साफा रूप सुहावन ।
धोती कुर्ता है मन भावन ॥

हाथ सुहावन सोहे भाला ।
मस्तक तेरे तेज निराला ॥


बल बुद्धि में तुम अति चातुर ।
परहित करने को हो अति आतुर ॥

जो भी तेरी महिमा गावे ।
पीड़ा, पाप, सब कट मिट जावे ॥


तांती बांधे विष उतर जावे ।
भभूती लगावे घाव भर जावे ॥

जो कोई पुत्र हीन जन ध्यावे ।
खाली गोद निश्चय ही भर जावे ॥


किसान कि ख़ुशी बढती जावे ।
हल जोतकर तेजो गावे ॥

तेरे समाना कोई नहीं जग में ।
भक्तों के बस जावो रग रग में ॥


सारे जग में महिमा तेरी ।
विष उतरे हुवे नहीं देरी ॥

मन से जपता तेरा नामा ।
उसके होते पूरण कामा ॥


जो कोई शरण में आवे ।
सुख सम्पति अर आनन्द पावे ॥

अर्ज सुनो अब बाबा मेरी ।
शरण में आया अब में तेरी ॥


तुम्ही हो मेरे सुख के दाता ।
तुम ही पिता और माता ॥

तुम ही मेरे देव और दाता ।
तेरे ही गुण में हरपल गाता ॥


पूजा पाठ कुछ रीत न जानूं ।
तेजा वीर कि महिमा बखानूं ॥

तेरा नाम बड़ा सुखदाई ।
तेरी महिमा जग में छाई ॥


भाभी ने तुमको बोले बोल ।
तुमने बताये वचन अनमोल ॥

सकल बुद्धि मन कुमति निवारो ।
क्षमा करो अपराध हमारो ॥


गौ वंश से प्रेम निराला ।
हम सबका तू ही रखवाला ॥

दुश्मनों ने जब घात लगाया ।
तुमने अपना बल दिखलाया ॥


हाथ हथेल्यां जीभ कुँवारी ।
डसो बासक , बोले तपधारी ॥

गायें छुडावन आप सिधाये ।
प्राण देकर वचन निभाये ॥


विजय पताका तेरा लहराये ।
जय जय वीर तेजा कहलाये ॥

लाछा गुजारी तेरा गुण गावे ।
जिनकी गायें आप छुडावे ॥


लीलण असवारी तेरी शान ।
घोड़ी होकर दिया बलिदान ॥

राणी पेमल सती सत लेवे ।
भक्तों को बाबा आशीष देवे ॥


भाई पर सती की पहली गाथा ।
नमो: नमो: देवी बंगाल माता ॥

बलिदान सुरसुरा देव कहाये ।
बासक देव ने वचन सुणाये ॥


जहर जानवर प्रेत नहीं आवे ।
जो कोई तेजा चालीसा गावे ॥

लेय भभूती घर में आवे ।
उस घर में कभी दुःख नआवे ॥


भादवा सुदी दशम कहिजे ।
भोग लागे और मेला भरीजे ॥

खिराज सियाग आस अब तेरी ।
दया दृष्टी में मत कर देरी ॥

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