दुख 3 (एक सच्ची गाथा) हिंदी रैप लिरिक्स

दुख 3 (एक सच्ची गाथा)

हिंदी रैप लिरिक्स

दुख 3 (एक सच्ची गाथा) हिंदी रैप लिरिक्स
दुख 3 (एक सच्ची गाथा) हिंदी रैप लिरिक्स

Song -Dukh 3
Lyrics - Ghor Sanatani
Rapper - Ghor Sanatani
Music - Ghor Sanatani

दुख 3 (एक सच्ची गाथा)

हिंदी रैप लिरिक्स

ब्रह्मांड की प्रथम प्रेम की
गाथा तुमको आज सुनाता हूँ
अमर कथा ये शिव शक्ति की
तुमको याद दिलाता हूँ
प्रजापति दक्ष के घर में
दुर्गा ने अवतार लिया
मात पिता ने सभी पुत्रियो
से बढ़के उसे प्यार दिया
अक्ल बुद्धि से परिपूर्ण
जो मति से करती काम
सुंदर चंचल सी कन्या का
सत्ती पड़ गया नाम
प्रजापति दक्ष करते केवल
विष्णु की पूजा
विष्णु जी के अलावा कोई
आराध्य ना उनका दूजा

जैसे ही माता बड़ी हुई
कर बैठी शिव से प्यार
पर प्रजापति ने शादी से
कर दिया साफ़ इनकार
पुत्री को समझाने लगे
तू है महलों की रानी
क्यों वनवासी के पीछे पड़ी
मुझे होती है हैरानी
यहाँ मखमल का बिस्तर है बेटी
काँटो पर वहाँ सोयेगी
तू बर्फ में थर्र थर्र काँपेगी
हमे याद करके फिर रोयेगी
जो ख़ुद भूखा बैठा है क्या
तुझको ख़ाक खिलाएगा
अघोरी है श्मशान वासी
वो तुझको राख पिलाएगा

लाख ताने सुनकर भी माता
किसी की एक ना मानी
शिव को ही पति वो मान बैठी
शादी करने की ठानी
कठोर तपस्या की माता ने
त्याग दिया जल अन्न
कड़ी तपस्या माँ ने की
तब शिव जी हुए प्रसन्न
आँखें खोलो है देवी
जल्दी माँगो वरदान
माँगो सोने चाँदी हीरे या
माँगो वेद पुराण
माता बोली ये मोह माया है
सभी त्यागती हूँ
मैं आपको अपने पति रूप में
आपसे माँगती हूँ

भोले बाबा समझाने लगे
तुम महलों की राजकुमारी
ना रथ ना घोड़े पास मेरे
करूँ नंदी की सवारी
मेरा कोई नहीं ठिकाना देवी
वन में रहता हूँ
कोई अच्छा कुंवर राजा का
ढूँढ तुम्हें सत्य मैं कहता हूँ
मेरे गले में नाग लपेटा
और हाथ में है त्रिशूल
मेरे साथ में नंगे पाव चलोगी
चुभेगे काँटे शूल
ऊँचे पर्वत पे ध्यान करूँ
कैलाश है मेरा डेरा
अरे डर जाओगी देवी देख
मेरे इर्द गिर्द भूतों का घेरा

बोली माता मैं सब सह
लूँगी करती आपसे प्यार
भोले बाबा प्रसन्न हुए
किया माता को स्वीकार
भोले बाबा पर प्रजापति
का हद से बढ़ गया क्रोध
यज्ञ रखा था प्रजापति ने
लेने शिव से प्रतिशोध
सब देव ऋषि को न्योता भेजा
प्रभु से हो अनजान
सती माता भी मोह माया में
कर ना सकी ध्यान
प्रभु से पूछा माता ने एक
विनती है मेरे ईश
मुण्डवाला जो धारण है इसमें
किसके है शीश

प्रभु आँखें भर कर बोले
107 मुण्ड की माला
बस एक शीश है बाक़ी
फिर सब पूर्ण होने वाला
ये सभी शीश तुम्हारे है
तूम मोह माया से भटकी हो
तुम ख़ुद को न पहचान पाई
और मृत्यु लोक में अटकी हो
तुम यज्ञ में मत जाना
वरना होगा अपमान
ये मृत्यु तुल्य होगा अपमान
ले लोगी ख़ुद की जान
गर यज्ञ में तुमको जाना है
पहले शक्ति को जगाना है
मैं तुमको बांध नहीं सकता
जाओ ग़र तुमको जाना है

माता ख़ुद पहचान सकी ना
पिता के घर पर आई
प्रजापति ने माता सत्ती को
खरी खोटी सुनाई
माता ना सह अपमान सकी
अग्नि में दे दिये प्राण
दक्ष का शीश काटने
आये वीरभद्र भगवान
माता के जलती देह को
उठा शिव करने लगे विलाप
शिव दुखी होके ग़र बैठ गये
तो बढ़ जाएगा पाप
शिव के दुख को यूँ दूर किया
विष्णु ने युक्ति लगाई
असुरों और अंधकार से ये
सारी सृष्टि बचाई

विष्णु जी ने सुदर्शन से
माता सती का शव काट दिया
जहां टुकड़े गिरे वहाँ पिण्ड बने
शक्तिपीठों में बाँट दिया
माता ने जाते बोल दिया
मैं वापिस लौट के आऊँगी
हर जन्म मैं शिव को पाऊँगी
शिव की शक्ति कहलाऊँगी
माँ पार्वती बन लौटी
करती थी प्रभु का जाप
कामदेव जब भस्म हुए
मिला पार्वती को श्राप
रत्ती कामदेव की पत्नी थी
बोली तू निसंतान रहे
अब मेरी गोद रहेगी सुनी
तू भी तो निस्तान रहे

यें युगों युगों की प्रेम कथा
इसमें ना कोई संदेह
जब जब शिव का अपमान हुआ
माँ त्याग देती थी देह
त्याग समर्पण दोनों में था
मिलती हमको शिक्षा
जन्मों जन्मों तक माँ की
शंभु करते थे प्रतीक्षा
शंभु से मिलने की ख़ातिर
पहले शून्य होना पड़ता है
प्रेम की अग्नि में तप हीरे को
अमूल्य होना पड़ता है
है प्रेम वही जब बिन बोले
प्रेमी को समझ में आये
चाहे कितने भी माँ रूप धरे
शिव की शक्ति कहलाये

शिव ने माँ को अपनाया
उनसे फिर ब्याह रचाया
अमरनाथ की गुफा में
कथा सुना के अमर बनाया
शिव ने माँ को अपनाया
उनसे फिर ब्याह रचाया
अमरनाथ की गुफा में
कथा सुना के अमर बनाया
शिव ने माँ को अपनाया
उनसे फिर ब्याह रचाया
अमरनाथ की गुफा में
कथा सुना के अमर बनाया...

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