प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया लिरिक्स


प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया 

लिरिक्स 
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया लिरिक्स
प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया लिरिक्स 


प्रथम वेद ब्रह्मा को दे दिया,
भये वेद के अधिकारी ।
विष्णु को दिया चक्र सुदर्शन,
लक्ष्मी सी सुंदर नारी ।

आप भजन में मस्त रहे…
मोरे बाबा....
आप भजन में मस्त रहे…
भंग पियो नीत खप्पर में ।
एसो दीनदयाल मोरे बाबा
भर्यो ख़ज़ानों पलभर में ॥

घन घन भोलेनाथ बाँट दिये,
तीन लोक इक पलभर में ।
एसो दीनदयाल मोरे बाबा,
भरे ख़ज़ाना पलभर में ॥

अमृत तो देवों को दे दिया,
आपने हलाहल पान किया,
ब्रह्म ज्ञान दे दिया उसी को,
जिसने आपका ध्यान करा ।

अपने पास एक वस्त्र ना रखके,
मोरे बाबा....
अपने पास एक वस्त्र ना रखा,
मस्त रहे बाघम्बर में 
ऐसो दीनदयाल मोरे बाबा,
भरयों खजानो पल भर में 

धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये,
तीन लोक इक पल भर में ।
ऐसो दीनदयाल मोरे दाता,
भरे खजाना पल भर में ॥

वीणा तो नारद को देदी है,
हरी भजन का राग दीया 
ब्राह्मण को दिया कर्म काण्ड,
और सन्यासी को त्याग दिये 

अपने पास में कुछ नहीं रखते
मोरे बाबा...
अपने पास में कुछ नहीं रखते
मस्त रहें अपने तप में 
ऐसो दिनदयल मोरे बाबा,
भरयों खजानो पल भर में 

धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये,
तीन लोक इक पल भर में 
ऐसो दीनदयाल मोरे दाता,
भरे खजाना पल भर में 

लंका गढ़ रावण को दे दीया
बीस भुजा दस शिष दिये 
रामचंद्रजी को धनुष बाण
तुमही ने तो जगदीश दिये 

जिसने जो चाहा उसने वो पाया
मोरे बाबा...
जिसने जो चाहा उसने वो पाया
महादेव तुम्हरे वर में 
ऐसो दिनदयल मोरे बाबा,
भरे खजानो पल भर में 

धन धन भोलेनाथ बॉंट दिये,
तीन लोक इक पल भर में 
ऐसो दीनदयाल मोरे दाता,
भरें खजाना पल भर में 

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