समय को भरोसो कोनी भजन लिरिक्स
कदी कदी गाडरा सुं,
सिंह हार जावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
कदी कदी गाडरा सुं,
सिंह हार जावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
गुरु वशिष्ठ महा मुनि ज्ञानी,
लिख लिख बात बतावे ।
श्री राम जंगल में जावे,
किस्मत पलटी खावे ॥
राजा दशरथ प्राण त्याग दे।
हाथ लगा नहीं पावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
कदी कदी गाडरा सुं,
सिंह हार जावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
राजा हरीचंद रानी तारामती,
रोहितास कवर कहावे ।
ऐसो खेल रच्यो मेरे दाता,
तीनो ही बिकबा जावे ॥
एक हरिजन एक ब्राह्मण घर,
एक कुबदा घर जावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
कदी कदी गाडरा सुं,
सिंह हार जावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
राजा की बेटी पदमा कहाये,
मोर लार परनावे ।
मोर जाय जंगल में मर गयो,
किस्मत पलटी खावे ॥
मेहर भई शिवजी की ऐसी,
मोर को मर्द बनावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
कदी कदी गाडरा सुं,
सिंह हार जावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
राजा भरतरी रानी पिंगला,
मेहलां में सुख पावे ।
शिकार खेलने राजा भरतरी,
जंगल माई जावे ॥
गोरखनाथ गुरु ऐसा मिलिया,
राजा जोगी बण जावे।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
कदी कदी गाडरा सुं,
सिंह हार जावे ।
समय को भरोसो कोनी,
कद पल्टी मार जावे ॥
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